1975 हॉकी वर्ल्डकप विजेता टीम के सदस्य एचजेएस चिमनी ने कहा, भूलनी होगी वो जीत
भारतीय टीम की संभावनाओं और अन्य मुद्दों पर 1975 विश्व कप विजेता टीम के सदस्य रहे ब्रिगेडियर एचजेएस चिमनी से खास बातचीत की।
नई दिल्ली, उमेश राजपूत। हॉकी विश्व कप आगामी 28 नवंबर से 16 दिसंबर के दौरान भारत के भुवनेश्वर में होने जा रहा है। विश्व कप में भारत का इतिहास कुछ खास नहीं रहा है। भारतीय टीम ने सिर्फ एक बार 1975 में विश्व कप खिताब जीता है। उसके बाद से चार दशक से ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन भारत कभी भी शीर्ष तीन में जगह नहीं बना सका।
इस बार भारतीय टीम के सामने घर में ही चुनौती है। इस चुनौती और भारतीय टीम की संभावनाओं और अन्य मुद्दों पर 1975 विश्व कप विजेता टीम के सदस्य रहे ब्रिगेडियर एचजेएस चिमनी से खास बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश :-
इस बार विश्व कप में भारतीय टीम की क्या संभावनाएं नजर आती हैं?
हाल के प्रदर्शन से तो कोई शक नहीं है कि भारतीय टीम अच्छा प्रदर्शन करेगी। एक बात जो शुरुआत में भारत के पक्ष में अच्छी नजर आ रही है वह यह है कि भारतीय टीम के ग्रुप में उतनी मजबूत टीमें नहीं हैं जितनी की अन्य ग्रुपों में हैं।
हमारे ग्रुप में भारत के अलावा दक्षिण अफ्रीका, बेल्जियम और कनाडा हैं। मुझे लगता है कि भारत को ग्रुप में शीर्ष पर रहकर सीधे क्वार्टर फाइनल खेलना चाहिए और उसके बाद हर मैच के हिसाब से रणनीति बनानी चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए।
इस बार 16 टीमें भाग ले रही हैं और प्रारूप भी बदला है। यह कितना दिलचस्प साबित होगा?
यह अच्छा बदलाव है। आप अच्छा करते हैं और पूल में शीर्ष पर रहते हैं तो आप सीधे क्वार्टर फाइनल खेलेंगे, लेकिन एस्ट्रो टर्फ में खेल बहुत जल्दी बदलता और कोई भी टीम जीत सकती है। ऐसे में यदि किसी अच्छी टीम का कोई मैच खराब जाता है और वह अपने पूल में दूसरे या तीसरे नंबर पर रहती है तो उसके पास क्वार्टर फाइनल में पहुंचने का दूसरा मौका होगा।
इस साल भारतीय टीम का बड़े टूर्नामेंटों में प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। सिर्फ एशियन चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब जीता, लेकिन वहां भी वह पाकिस्तान के साथ संयुक्त विजेता रही। ऐसे में टीम के मनोबल पर क्या असर पड़ेगा?
यह बात सच है कि हम बड़े टूर्नामेंटों में खिताब नहीं जीत पाए हैं, लेकिन यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि हम एशियन चैंपियंस ट्रॉफी में अकेले खिताब जीतने के दावेदार थे, लेकिन बारिश की वजह से मैच नहीं हो सका और हम संयुक्त विजेता बने। वहां किए गए प्रदर्शन से हमारी टीम को मानसिक मजबूती मिलेगी।
अपनी सरजमीं पर विश्व कप में कप्तानी करने को लेकर मनप्रीत सिंह पर कुछ दबाव होगा?
हमें इसे सबसे बड़े फायदे के रूप में देखना चाहिए कि हम अपने घर में खेल रहे हैं। हमें दर्शकों का भी समर्थन मिलेगा। इससे टीम का मनोबल बढ़ेगा और ऐसे में मनप्रीत को या किसी को भी दबाव नहीं लेना चाहिए। हमें सकारात्मक चीजों को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ना चाहिए।
सरदार सिंह संन्यास ले चुके हैं, रुपिंदर पाल सिंह और एसबी सुनील टीम में नहीं चुने गए। क्या टीम को इनके अनुभव की कमी खल सकती है?
अनुभवी खिलाडि़यों से टीम को फायदा होता है, लेकिन समय के मुताबिक हर चीज बदलती है। जैसा कि मैंने कहा कि हमें सकारात्मक सोच के साथ जाना चाहिए, इसलिए टीम में हुए बदलावों को भी इसी लिहाज से देखना चाहिए। हमारी टीम काफी युवा है, लेकिन कई खिलाड़ी ऐसे हैं जिन्होंने काफी मैच खेले हैं।
इनमें पीआर श्रीजेश, हरमनप्रीत सिंह, बीरेंद्र लाकड़ा, कोथाजीत सिंह, मनप्रीत सिंह, आकाशदीप सिंह, मंदीप सिंह, अमित रोहिदास और एक-दो अन्य खिलाड़ी शामिल हैं इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि टीम में अनुभव की कमी है।
आप विश्व कप विजेता टीम के सदस्य रहे हैं। आप उस दौर को कैसे याद करते हैं?
1975 को बीते हुए काफी समय हो गया। जब भी मैं उस जीत को याद करता हूं तो काफी गर्व का अनुभव होता है लेकिन, हम हर बार सिर्फ 1975 की सुनहरी यादों की बात नहीं कर सकते। अब समय आ गया है कि हम उन यादों से आगे बढ़ें और हमारी टीम नई सफलता हासिल करे। मैं मानता हूं हमारी मौजूदा टीम काफी अच्छी है और उसे पहले तीन स्थान में जगह बनानी चाहिए।