हॉकी फ्लैश बैक: पहली बार हॉकी विश्व कप में 16 टीमों ने हिस्सा लिया
मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर को दूसरी बार 2002 में हॉकी विश्व कप की मेजबानी करने का अवसर मिला।
-2002 फ्लैश बैक
पहली बार 16 टीमों ने लिया भाग
मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर को दूसरी बार 2002 में हॉकी विश्व कप की मेजबानी करने का अवसर मिला। तब पहली बार 16 टीमों ने विश्व कप में भाग लिया, जहां जर्मनी की टीम चैंपियन बनी। इसके अलावा पहली बार अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ ने एक टीम में निर्धारित अधिकतम खिलाडि़यों की संख्या को 16 से बढ़ाकर 18 कर दिया। यह फैसला मलेशिया के गर्म और उमस से भरे वातावरण को ध्यान में रखकर किया गया था। दो पूल में आठ-आठ टीमों को बांटा गया, जहां से पूल-ए से जर्मनी और नीदरलैंड्स ने सेमीफाइनल में जगह बनाई, जबकि पूल-बी से ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया की टीम ने अंतिम चार में प्रवेश किया। इसके बाद सेमीफाइनल में जर्मनी ने दक्षिण कोरिया को और ऑस्ट्रेलिया ने नीदरलैंड्स को हराकर खिताबी मुकाबले में दस्तक दी। फाइनल में जर्मनी ने ऑस्ट्रेलिया को 2-1 से हराकर पहली बार विश्व खिताब अपने नाम किया। एक बार फिर भारतीय टीम का प्रदर्शन निराशाजनक रहा और वह 10वें स्थान पर रही। बलजीत सिंह ढिल्लन की अगुआई वाली भारतीय टीम में धनराज पिल्लै, दीपक ठाकुर और अर्जुन हलप्पा जैसे दिग्गज खिलाड़ी शामिल थे, लेकिन इसके बावजूद भारत अपने प्रदर्शन में सुधार नहीं कर सका।
-फ्लैश बैक 2006
जर्मनी लगातार दूसरी बार विश्व चैंपियन
2006 में जर्मनी में 11वें हॉकी विश्व कप का आयोजन किया गया, जहां भाग लेने वाले टीमों की संख्या 16 से घटाकर 12 कर दी गई। जर्मनी ने ऑस्ट्रेलिया को फाइनल में हराकर लगातार दूसरी बार विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया। ऑस्ट्रेलिया, स्पेन, जर्मनी और दक्षिण कोरिया ने अंतिम चार में जगह बनाई। खिताबी मुकाबले में पिछले आयोजन की झलक देखने को मिली, जहां जर्मनी ने ऑस्ट्रेलिया को 4-3 से शिकस्त दी। 12 टीमों के टूर्नामेंट में भारत 11वें स्थान पर रहा। नीदरलैंड्स के ताइके ताइकेमा ने टूर्नामेंट में सर्वाधिक 11 गोल किए। वहीं, ऑस्ट्रेलिया के जेमी डायर को सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चुना गया।