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बेटियों ने थामी हॉकी एक फौज में भर्ती दूसरी नेशनल प्लेयर, माता-पिता के सपने को किया साकार

इकरा राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में पांच पदक खेलो इंडिया व आल इंडिया यूनिर्वसिटी खेलो इंडिया प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीत चुकी हैं।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Sat, 29 Aug 2020 06:06 PM (IST)Updated: Sat, 29 Aug 2020 06:06 PM (IST)
बेटियों ने थामी हॉकी एक फौज में भर्ती दूसरी नेशनल प्लेयर, माता-पिता के सपने को किया साकार
बेटियों ने थामी हॉकी एक फौज में भर्ती दूसरी नेशनल प्लेयर, माता-पिता के सपने को किया साकार

विजय गाहल्याण, पानीपत। होम गार्ड विभाग पानीपत में कंप्यूटर ऑपरेटर रियाज सैफी ने 14 साल पहले बड़ी बेटी इकरा और उससे छोटी उमरा को हॉकी थमाई। इस सपने के साथ कि दोनों चैंपियन बनेंगी। चक दे इंडिया का संकल्प लेकर। हालांकि उनके अपने ही समुदाय के लोगों ने साथ नहीं दिया. लेकिन रियाज ने कदम पीछे नहीं हटाए, बेटियों के साथ डटे रहे और आज इकरा परिवार की पहली बेटी हैं, जो सशस्त्र सुरक्षा बल में भर्ती हुई हैं तो उमरा इस समय नेशनल हॉकी एकेडमी में ट्रेनिंग ले रही हैं। इसके बाद तो दोनों बहनों से प्रेरित हो छोटे भाई 15 वर्षीय मोहम्मद जैद ने भी स्टिक थाम ली और वह दिल्ली हॉकी टीम का सदस्य है। सबसे छोटी बहन 13 वर्षीय इंसा सैफी भी बहनों की तरह हॉकी में पदक जीतना चाहती है।

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इकरा राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में पांच पदक, खेलो इंडिया व आल इंडिया यूनिर्वसिटी खेलो इंडिया प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीत चुकी हैं। उसने सन 2011 से लगातार राज्यस्तरीय हॉकी प्रतियोगिता में पदक जीते। 2016 में जूनियर नेशनल हॉकी प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद वह खिलाड़यों को मिलने वाले आरक्षण के माध्यम से सशस्त्र सुरक्षा बल में बतौर सिपाही भर्ती हो गईं। इकरा सेंटर हाफ और उमरा फारवर्ड खेलती है।

बेटियों ने पूरा किया पिता का सपना

उमरा ने बताती हैं कि हमारा परिवार सोनीपत की कृष्णा कॉलोनी में रहता है। पिता आíथक तंगी की वजह से खुद हॉकी के खिलाड़ी नहीं बन पाए। उन्होंने अपना सपना बेटियों के जरिये पूरा करने का संकल्प लिया। हमें स्टिक दी। खुद लोगों के ताने सुनते रहे, लेकिन हमारा हौसला बढ़ाते रहे। मां नसीमा भी हमारे साथ खड़ी रहीं। वह हमारे साथ सुबह चार बजे जगती थीं और हमारे सोने के बाद ही सोती थी।

पिता पानीपत में नौकरी करके रोज देर रात घर लौटते थे। हमें मैदान में ले जाते थे। फिर घर लाते और ड्यूटी पर जाते थे। माता-पिता के त्याग और संकल्प हमें किसी लायक बनाया है। हमारी कोच प्रीतम ने भी हमें तराशने में कोई कमी नहीं छोड़ी। इकरा बताती हैं कि हमने भारतीय हॉकी टीम की कप्तान व अर्जुन अवार्डी प्रीतम सिवाच की सोनीपत इंडस्टि्रयल एरिया स्थित हॉकी एकेडमी में अभ्यास किया। प्रीतम ने न सिर्फ दोनों की प्रतिभा को निखारा, बल्कि हर कदम पर हमारा साथ दिया। खेल सामान मुहैया कराया और चैंपियन खिलाड़ी बना दिया।


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