थर्मामीटर, स्टीमर बाजार से गायब, ऑक्सीमीटर भी नहीं उपलब्ध
कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के मद्देनजर लोगों ने घरों में ही अपना इलाज शुरू कर दिया है।
अविनाश विद्रोही, गगरेट
कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के मद्देनजर लोगों ने घरों में ही अपना इलाज करना शुरू कर दिया है। हालांकि जिला प्रशासन ने कोरोना से जुड़ी दवाइयां डाक्टर की पर्ची देखकर ही बेचने की हिदायत जारी की है। इसके बावजूद बाजार में दवाओं की किल्लत आ रही है। मास्क व सैनिटाइजर समेत दवाओं के दाम में भी लगातार वृद्धि जारी है। थर्मामीटर व स्टीमर बाजार से गायब हैं और ऑक्सीमीटर भी उपलब्ध नहीं हैं।
कोरोना में सबसे ज्यादा कारगर दवा डोलो पैरासिटामोल के दाम तो बढ़े ही हैं, यह अधिकतर दवा विक्रेताओं के पास आउट ऑफ स्टॉक है। अजीथ्रोमाइसिन भी बाजार में महंगी बिक रही है। विटामिन की दवाएं भी महंगी हुई हैं। हालांकि रिटेलर एमआरपी पर दवा दे रहे हैं लेकिन कंपनी ने होलसेल दाम में वृद्धि कर दी है। एक रुपये में बिकने वाला ट्रिप्पल लेयर सर्जिकल मास्क अब पांच रुपए तक बेचा जा रहा है। सैनिटाइजर के दाम भी बढ़ गए हैं। हालांकि थर्मल स्कैनर की मांग पिछले साल ज्यादा थी लेकिन इस साल उनके खरीदार नहीं हैं। इस समय घर में प्रयोग होने वाला डिजिटल थर्मामीटर ही मांग में है लेकिन बा•ार में नहीं है।
एक वर्ष पहले ऑक्सीमीटर 500 रुपये में मिलता था। अब सस्ते से सस्ता ऑक्सीमीटर 2000 रुपये के करीब है। यह कम दुकानों पर मिल रहा है। जेनेटिक व एथिकल दवाओं में दाम का अंतर
बाजार में मिलने वाली एथिकल दवाओं और जेनेटिक दवाओं के दामों में भी जमीन आसमान का अंतर है। जेनेटिक में पांच रुपये में मिलने वाली पैरासिटामोल की गोलियां बाजार में 20 रुपये से ज्यादादाम में मिल रही हैं। अन्य दवाओं के दामों में भी दोगुना या तीन गुना दाम का फर्क है। हालांकि कोविड में सख्त हिदायत है कि डाक्टर की पर्ची के बिना दवाएं न बेची जाएं लेकिन डाक्टर जेनेटिक दवाएं कम इस्तेमाल कर रहे हैं।
--------------- लोग पैनिक होकर बेतहाशा खरीदारी कर बाजार में दवाओं की कमी कर रहे हैं। जिन्हें जरूरत है, वो ही दवा खरीदें लेकिन बिना कारण घर में दवाएं जमा करने वाले सारा सिस्टम खराब कर रहे हैं। कोशिश की जा रही है कि दवाओं में कोई कमी न आए।
राघव शर्मा, उपायुक्त ऊना