बुलंद हौसले ने खोली पैरा ओलंपिक की राह
इन्सान में कुछ करने का जज्बा हो तो विकट परिस्थितियां भी उसकी राह नहीं रोक सकती हैं।
अजय टबयाल, अम्ब
इन्सान में कुछ करने का जज्बा हो तो विकट परिस्थितियां भी उसकी राह नहीं रोक सकती हैं। पंचायत कटौहड़ कलां के बदाऊं गांव के दिव्यांग निषाद चौधरी ने पैरा वर्ल्ड ओलंपिक चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाई कर यह साबित कर दिया है। उसने बुलंद हौसले और कड़ी मेहनत से ऐसा मुकाम पाया है जहां तक पहुंचना आम आदमी के लिए भी सपने के समान होता है।
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दुबई विश्व चैंपियनशिप में जीता रजत पदक
निषाद ने दुबई में आयोजित वर्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में ऊंची कूद में कांस्य पदक जीतकर अगले साल टोक्यो में होने वाली पैरा वर्ल्ड ओलंपिक चैंपियनशिप के लिए अपना टिकट पक्का कर लिया है।
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चार साल की आयु में हाथ कटने के बाद भी नहीं मानी हार
निषाद ने चार साल की आयु में घर में ही किसी कारणवश अपना दायां हाथ खो दिया था। इसके बावजूद उसने कभी हार नहीं मानी। उसने ब्लॉक, जिला व राज्यस्तर पर दौड़ व ऊंची कूद में नाम कमाया है।
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सफल डोगरा ने दिखाई राह
तीन दिसंबर 2017 को विश्व दिव्यांगता दिवस पर आयोजित प्रतियोगिता में निषाद ने अपनी प्रतिभा से प्रदेश के नामी खिलाड़ी सफल डोगरा को प्रभावित किया। उनके कहने पर निषाद प्रदेश की पैरा एसोसिएशन के सचिव ललित ठाकुर के पास पहुंचा। वहां उसने ऊंची कूद का प्रशिक्षण लिया।
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घर में मिला खेलों जैसा माहौल
राज मिस्त्री रशपाल पाल सिंह व पुष्पा देवी के घर पैदा हुए निषाद चौधरी को घर से ही खेलों जैसा माहौल मिला है। उसकी मां पुष्पा देवी स्कूल के समय वॉलीबॉल की कुशल खिलाड़ी रह चुकी हैं। संसाधनों की कमी से वह अपनी प्रतिभा को स्कूल स्तर से आगे नहीं दिखा पाई। निषाद की प्रतिभा देख मां ने ही उसे बुलंदियों तक पहुंचने के लिए प्रेरित किया।
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इनसे लिया प्रशिक्षण
-निषाद ने पैरा एसोसिएशन के सचिव ललित ठाकुर, हरियाणा स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट के कोच विक्रम चौधरी व नसीम अहमद से प्रशिक्षण लिया।
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ये है उपलब्धियां
अप्रैल 2018 में पंचकूला में आयोजित पैरा नेशनल चैंपियनशिप में निषाद ने रजत पदक जीता। इसके बाद फरवरी 2019 में दुबई में आयोजित हुई फाजा इंटरनेशनल चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया।
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जेब से पैसे खर्च किए
स्पोर्ट्स अथारिटी ऑफ इंडिया (साई) द्वारा दुबई में आयोजित होने वाली इस वर्ल्ड पैरा एथलीट्स चैंपियनशिप में खिलाड़ियों की सलेक्शन के लिए बैंगलुरू में जब तीन महीने का कैंप आयोजित किया गया, उसमें निषाद का नौवां रैंक आने के कारण साई ने निषाद को न केवल रिजेक्ट कर दिया, बल्कि उस कैंप को भी सात दिन पहले ही बंद कर दिया था। जिसके बाद ओलंपिक पैरा कमेटी ऑफ इंडिया के कोच सत्यानारायण और निषाद ने अपनी जेब से पैसे खर्च करके दुबई में आयोजित इस चैंपियनशिप में भाग लिया।