साहब! कभी शिव तालाब मार्ग की भी लो सुध
शिव तालाब मंदिर के पास वो ऐतिहासिक बाबड़ी है जहां दुर्गा भक्त बाबा माईदास ने मां चितपूर्णी के कहने पर पत्थर उखाड़ा था और वहां जल की पवित्र धारा बह निकली थी। सदियों से अब इसी बाबड़ी के जल से मां की पावन पिडी का स्नान करवाया जाता है। इस स्थान पर शीश नवाने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु भी वहां पहुंचते हैं। इसी मार्ग पर दो सरकारी स्कूल भी हैं। बावजूद मंदिर न्यास ने इस मार्ग को एक तरह से लावारिस छोड़ दिया है।
नीरज पराशर, चितपूर्णी
शिव तालाब मंदिर के पास ऐतिहासिक बावड़ी है। यहां बाबा माईदास ने मां चितपूर्णी के कहने पर पत्थर उखाड़ा था और जल की धारा निकली थी। सदियों से इसी बावड़ी के जल से मां की पावन पिडी का स्नान करवाया जाता है। इस स्थान पर शीश नवाने के लिए काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। इसी मार्ग पर दो सरकारी स्कूल भी हैं। इसके बावजूद मंदिर न्यास ने इस मार्ग को लावारिस छोड़ दिया है। मंदिर के वापसी द्वार से होते हुए भक्तों को इस रास्ते से गुजरते समय दुर्गंध का भी सामना करना पड़ता है। नालियों की सफाई कब हुई, यह शायद किसी को पता नहीं है।
शिव तालाब से पहले पौड़ियों की हालत बदतर हो गई है। कई बार दूषित पानी इन पौड़ियों के बीच से बहता है। दो वर्ष पहले सीवरेज का कार्य करने के बाद रास्ते की मरम्मत भी नहीं की गई। इसी मार्ग पर मंदिर कार्यालय है। शायद कार्यालय से आगे कोई अधिकारी या कर्मचारी दौरा करना ठीक नहीं समझता है।
लक्कड़ बाजार की दुर्दशा से भी न्यास अनजान
मंदिर न्यास के नियंत्रण कक्ष से 10 मीटर दूर लक्कड़ बाजार है। मां के दर्शन करने के बाद वापसी गेट से होते हुए श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। इस बाजार की दुर्दशा को लेकर शायद न्यास अनजान है। बाजार की नालियां गंदगी से भरी हैं। गर्मी का मौसम आते ही यह क्षेत्र मक्खी-मच्छरों का प्रजनन केंद्र बन जाता है। सफाई व्यवस्था के नाम पर यहां रस्म अदायगी की जाती है। तंग बाजार में कुछ लोगों द्वारा दोपहिया वाहन खड़ा करने से भी सफाई करने में दिक्कत होती है। व्यवस्था को बनाने में न तो लोग और न ही प्रशासन दिलचस्पी दिखाता है।
एक करोड़ से बने शौचालयों की हालत दयनीय
लक्कड़ बाजार से 30 मीटर दूर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बनाए गए शौचालयों की हालत भी दयनीय हो गई है। सफाई न होने से श्रद्धालु इनका प्रयोग करने से परहेज करते हैं। हालांकि इन शौचालयों के निर्माण पर न्यास ने एक करोड़ रुपये से अधिक राशि खर्च की है। शौचालयों के भीतर की व्यवस्था यह है कि कई जगहों पर दीवार लगाने की बजाय बांस के डंडे गाढ़ दिए हैं। इन पर भी मैले कपड़े टांग दिए गए हैं। लाजिमी है इन शौचालयों में आने वाले यात्री कड़वा अनुभव लेकर जाते हैं। नरियाल बस्ती रोड पर खुले में फेंका गया कूड़ा न्यास की सफाई व्यवस्था की पोल खोल रहा है।
नारी ग्राम सुधार सभा के सदस्य भोला सिंह ठाकुर का कहना है कि लक्कड़ बाजार, नरियाल बस्ती रोड व शंभू बाईपास का क्षेत्र नारी-चितपूर्णी पंचायत के अधीन आता है। पंचायत का मंदिर न्यासी होने के बावजूद यहां हर तरफ गंदगी का आलम है।
मंदिर न्यासियों राकेश समनोल, विजय सिंह ठाकुर व नरेंद्र कालिया ने बताया कि चितपूर्णी में सफाई व्यवस्था गंभीर मुद्दा है। इस बारे में वे मंदिर ट्रस्ट से चर्चा करेंगे।