विनम्रता मानव जीवन का सर्वोत्तम गहना : अतुल
शिव मंदिर नैहरियां में श्रीमद्भागवत कथा का रविवार को समापन हो गया।
संवाद सहयोगी, अम्ब : शिव मंदिर नैहरियां में श्रीमद्भागवत कथा का रविवार को समापन हो गया। अतुल कृष्ण महाराज ने श्रद्धालुओं को प्रभु सिमरन से जोड़ा। कहा सदैव उल्लास, प्रसन्नता से भरे रहना ईश्वर की सर्वोत्तम भक्ति है। जीवन में शांति स्थान बदलने से नहीं बल्कि मन को बदलने से प्राप्त होती है। हम अपने मन को सुमन बनाकर प्रभु चरणों में अर्पित कर दें तो परमात्मा की कृपा प्राप्त होने में देर न होगी। जीवन एक उत्सव है। विनम्रता मानव जीवन का सर्वोत्तम गहना है। हमें प्रभु से प्रार्थना करनी है, याचना नहीं। थोड़े से जीवन में तू-तू मैं-मैं को त्यागकर आनंद एवं माधुर्य बिखेरते चलें, क्योंकि बेकार के चिंतन एवं क्रिया में जिदगी यूं ही बीतती चली जा रही है। जीवन में शांति लानी है। शांति मनुष्य की सबसे बड़ी संपत्ति है। यदि हृदय में अशांति छाई हुई है तो पास में सारी दौलत होते हुए भी सबकुछ व्यर्थ है। भगवान को अपने सबसे निकट समझना चाहिए। हमारी कामनाओं में सांसारिक चीजों की चाह पहले होती है प्रभु का नाम बाद में। वास्तव में सच्चाई तो यह है कि हम भगवान को नहीं चाहते बल्कि भगवान से चाहते हैं। भगवान से अन्य सांसारिक चीजें नहीं अपितु भगवान को ही मांग लेना चाहिए। जैसे माता कौशल्या व महाराज दशरथ ने, देवकी और वसुदेव ने, यशोदा और नंद ने, कश्यप ऋषि व माता अदिति ने भगवान से भगवान को ही मांगा। हमें भगवान की प्राप्ति का साधन करना चाहिए संसार का नहीं। कथा में जरासंध का वध, पांडवों यज्ञ, शिशुपाल का उद्धार, सुदामा को दिव्य ऐश्वर्य की प्राप्ति, भगवान का स्वधाम गमन एवं राजा परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति का प्रसंग सभी ने अत्यंत श्रद्धा से सुना। आरती के बाद भंडारे का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्रमुख रूप से अशोक कुमार, पं. अश्वनी, तिलक राज शर्मा, मास्टर ओमदत्त शर्मा, अश्वनी शर्मा, अनिल शर्मा, सुनील शर्मा, सोमनाथ शर्मा, राजिंद्र शर्मा, महेश शर्मा, रमन शर्मा, विजय कुमार, मुनीश कुमार, दीपक शर्मा, यशपाल वर्मा, अशोक वर्मा, अंशु शर्मा, प्रवीण शर्मा, अजय शर्मा, डॉ. नरेश बोहरा, पुष्पलता, अनीता देवी, प्रेमलता, कनिका शर्मा मौजूद रहीं।
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