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हड़ताल पर रहे डाक कर्मी, ठप कामकाज

जिला मुख्यालय में वीरवार को डाक कर्मियों के साथ सीटू के नेतृत्व में विभिन्न वर्कर्स यूनियनों ने प्रदर्शन किया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 09:25 PM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2020 09:25 PM (IST)
हड़ताल पर रहे डाक कर्मी, ठप कामकाज
हड़ताल पर रहे डाक कर्मी, ठप कामकाज

जागरण संवाददाता, ऊना : जिला मुख्यालय में वीरवार को डाक कर्मियों के साथ सीटू के नेतृत्व में विभिन्न वर्कर्स यूनियनों ने प्रदर्शन किया। केंद्र सरकार के खिलाफ ऊना डाक मंडल के कर्मचारियों की हड़ताल के कारण डाकघरों में कामकाज पूरी तरह से ठप रहा। ऐसे में आम जनता को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।

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डाक विभाग के ग्रुप तृतीय श्रेणी तथा ग्रामीण डाक कर्मियों ने अखिल भारतीय डाक यूनियनों के आह्वान पर वीरवार को एकदिवसीय हड़ताल के दौरान केंद्र सरकार के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि कर्मचारियों के प्रति सरकार की नीति एवं योजनाएं संतोषजनक नहीं हैं।

अखिल भारतीय ग्रामीण डाक कर्मचारी संघ से जुड़े ग्रामीण डाक कर्मियों ने मांगों के समर्थन में हड़ताल की। डाक विभाग के परिमंडलीय सचिव एचएस गुलेरिया ने डाक कर्मचारियों को एकजुट होने की अपील करते हुए कहा कि हिमाचल के कई डाक मंडलों में सौ फीसद हड़ताल सफल रही है। जीडीएस यूनियन के मंडलीय सचिव जगतार सिंह ने कहा कि डाक विभाग की रीढ़ कहे जाने वाले ग्रामीण डाक कर्मियों को टारगेट देकर मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है, लेकिन केंद्र सरकार इस वर्ग की मांगों के प्रति संजीदगी नहीं दिखा रही है।

ये हैं मुख्य मांगे

देशभर के जीडीएस को सिविल सवेंट घोषित करना, तीन समयबद्ध पदोन्नतियां देना, खाली पदों में जीडीएस को 20 फीसद आरक्षण देना, आयु सीमा 35 से 40 वर्ष करना व स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार करना शामिल है। सीटू के साथ मिलकर कई यूनियनों ने किया प्रदर्शन

ऊना : जिला मुख्यालय में राष्ट्रीय इंटक, सीटू, एटक कई वर्कर यूनियनों के साथ जुड़े संगठनों ने अपनी मांगों व किसानों की समस्याओं को लेकर केंद्र व राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया।

प्रदेश इंटक महासचिव एवं जिलाध्यक्ष कामरेड जगत शर्मा एवं इंटक के प्रदेश उप सचिव एवं ऊना जिला इंचार्ज कामरेड करनैल सिंह ने 25 नवंबर को सार्वजनिक क्षेत्र बचाओ देश बचाओ, किसान बचाओ के रूप में मनाया। वीरवार को उपायुक्त के माध्यम से राष्ट्रपति को मांगों के समर्थन में ज्ञापन प्रेषित किया गया जिसमें केंद्र की जनविरोधी मजदूर, कर्मचारी व किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद की। इस अवसर पर कृषि कानून को रद करने की मांग की गई। रेलवे विभाग में निजीकरण को बंद करने, सार्वजनिक क्षेत्र में ठेकेदारी, आउटसोर्सिंग तथा अनुबंध व्यवस्था को खत्म करने आठ के बजाय 12 घंटे काम करवाने का नियम खत्म करने की मांग की गई। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार 18000 न्यूनतम वेतन दिए जाने, सभी सरकारी व सार्वजनिक क्षेत्रों में पहले की तरह नौकरियां दिए जाने की मांग की गई है।

सीटू के नेतृत्व में भी इन संगठनों ने प्रदर्शन किया और चतुर्थ श्रेणी आंगनबाड़ी कर्मचारियों, आशा वर्कर मिड डे मील वर्कर को नियमित किए जाने की मांग की गई। इस प्रदर्शन से कुछ देर के लिए यातायात भी प्रभावित हुआ। प्रदर्शन में कामरेड गुरनाम सिंह, कामरेड शिव कुमार द्विवेदी, नरेश शर्मा, नीलम कुमारी, अनुराधा, मंजू बाला, सरोज बाला, रमा कुमारी, सोमा देवी, संतोष कुमारी, निर्मल सैणी, सुषमा देवी, पुष्पा रानी, मंजू शर्मा व निशा शामिल रहीं।


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