मनरेगा से बदल रही चितपूर्णी के गांवों की तस्वीर
मनरेगा है तो मुमकिन है यह चिंतपूर्णी क्षेत्र के सुदूर गांवों की तकदीर व तस्वीर बदल रहा है।
संवाद सहयोगी, चितपूर्णी : मनरेगा है तो मुमकिन है, यह चिंतपूर्णी क्षेत्र के सुदूर गांवों की तकदीर व तस्वीर बदल रहा है। कोरोना काल के दौरान भी मनरेगा ने न सिर्फ लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाने में प्रमुख भूमिका अदा की, बल्कि चितपूर्णी विस क्षेत्र में लगभग सात करोड़ रुपये के विकास कार्य किए गए। इसके अलावा भी इस क्षेत्र में मनरेगा के तहत बड़े प्रोजेक्ट पर काम शुरू होने जा रहा है जिन पर भी लाखों रुपये का बजट इस योजना के अंतर्गत रखा गया है। कुल 260 तरह के कार्य मनरेगा के तहत हो सकते हैं।
चितपूर्णी क्षेत्र में भूमि सुधार, पार्क, रास्तों का निर्माण, पौधारोपण, कैटल शेड और वर्षा जल संग्रहण टैंक आदि इसी योजना के अधीन बन रहे हैं। क्षेत्र की 51 पंचायतों में ही मनरेगा के तहत कोई न कोई कार्य कोरोना काल में चलता रहा। इससे ग्रामीणों को घर-द्वार पर रोजगार का साधन उपलब्ध हुआ। कई ग्रामीणों ने अपनी ही जमीन पर भूमि सुधार और पौधारोपण करवाया और खुद मजूदरी की, जिससे उनकी आर्थिक दशा में सुधार के साथ बंजर जमीन की दशा भी सुधर गई। वैसे तो मनरेगा के तहत सौ दिन रोजगार देने का प्रावधान है, लेकिन राज्य सरकार ने अतिरिक्त बीस दिन रोजगार इस योजना के तहत अपनी तरफ से जोड़ा है। इससे भी ग्रामीणों को फायदा मिला। ये हैं मनरेगा के तहत बड़े प्रोजेक्ट
चितपूर्णी विस क्षेत्र में चुरूड़ू गांव में मुख्यमंत्री लोक भवन का कार्य चला हुआ है, जिस पर 62 लाख राशि खर्च होने का अनुमान है। इस पर मनरेगा के तहत 24 लाख रुपये खर्च हो रहे हैं। ग्राम पंचायत जवार के पंचायत घर व सामुदायिक भवन के लिए 27.50 लाख खर्च होंगे, जिसमें अकेले मनरेगा से 17.50 लाख का बजट होगा। अम्ब विकास खंड के तहत कुल 16 मोक्षधाम का निर्माण भी मनरेगा के पैसे से हुआ है। मनरेगा के तहत हर पंचायत में विकास कार्यो को गति दी गई है। अन्य सरकारी योजनाओं के फंड के साथ मनरेगा ने भी कोरोना काल में रोजगार और विकास के नए द्वार खोले। मार्च में लॉकडाउन लगने के बाद अब तक करीब सात करोड़ रुपये की राशि चितपूर्णी विस क्षेत्र की विभिन्न पंचायतों में खर्च की जा चुकी है।
-अभिषेक मित्तल, खंड विकास अधिकारी, अम्ब।