बेटा तू इस तरह से आने का वादा नहीं करेगा गया था
मंगलवार को ही अधिकांश लोगों को मिल चुकी थी। हालांकि उसकी पत्नी और मां को अंतिम समय तक भी इसकी भनक नहीं थी। बुधवार को घर में कुछ अलग तैयारियां देख उन्हें आभास तो हो गया था लेकिन उनका दिल यह मानने को तैयार नहीं था। 1
राकेश राणा, बंगाणा
शहीद अनिल जसवाल की जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में आतंकियों से मुठभेड़ से शाहदत प्राप्त कर चुका है, यह जानकारी मंगलवार को ही अधिकांश लोगों को मिल चुकी थी। हालांकि उसकी पत्नी और मां को अंतिम समय तक भी इसकी भनक नहीं थी। बुधवार को घर में कुछ अलग तैयारियां देख उन्हें आभास तो हो गया था, लेकिन उनका दिल यह मानने को तैयार नहीं था। 18 जून की देर शाम को शहीद की पार्थिव देह चंडीगढ़ पहुंचेगी, इसके इंतजार में लोग थे लेकिन रात नौ बजे खबर आई कि मौसम की वजह से उड़ान न होने के कारण पार्थिव देह श्रीनगर से नहीं आ पाई है। बुधवार को 6:30 बजे सुबह श्रीनगर से हवाई मार्ग से अनिल की पार्थिव देह को चंडीगढ़ तक लाया गया। चंडीगढ़ से 10:30 बजे वातानुकूलित एंबुलेंस में पार्थिव शरीर को ऊना के लिए रवाना कर दिया गया।
ऊना में सिग्नल कोर के कैप्टन अभिनव शर्मा की टुकड़ी ने दोपहर करीब एक बजे पार्थिव देह को सलामी देकर फूलों से सजे ओपन ट्रक में रखा। इस अवसर पर जिला प्रशासन की ओर से भी शहीद को सलामी दी गई। इसके बाद शहीद के पैतृक गांव में पहले से ही कुछ लोग अंतिम रस्म की तैयारियां चुपके से कर रहे थे। ऊना में जब शहीद की पार्थिव देह को दूसरे वाहन में बदला जा रहा था तो सैकड़ों लोग वहां एकत्रित हो गए और उन्होंने शहीद को श्रद्धांजलि दी और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाने शुरु कर दिए। हिमाचल पुलिस की गाड़ी काफिले को एस्कार्ट कर रही थी। इसके बाद शहीद की पार्थिव देह को लेकर करीब सवा दो बजे जब वाहनों का काफिला बंगाणा बाजार में पहुंचा तो सभी व्यापारियों व लोगों ने सड़क के किनारे खड़े होकर शहीद को श्रद्धांजलि देते हुए पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाने शुरु कर दिए। इस बीच बंगाणा सैन्य अकादमी के कई युवकों ने भी पाकिस्तान मुर्दाबाद करते हुए बंगाणा से सरोह गांव तक पाकिस्तान के खिलाफ बाइकों के साथ रोष रैली निकाली। सैकड़ों लोग पहले से ही शहीद के घर पहुंचे हुए थे। शाम तीन बजे यह काफिला शहीद के गांव में पहुंचा। बंगाणा में व्यापारियों ने बाजार बंद रखकर शोक रखा। प्रदेश सरकार की ओर से मंत्री वीरेंद्र कंवर, जिलाधीश संदीप कुमार, एसपी दिवाकर शर्मा, एसडीएम बंगाणा संजीव कुमार समेत कई अधिकारी शहीद के घर पहुंचे हुए थे। वे शहीद के परिवार को ढांढस बंधा रहे थे। इस बीच जैसे ही पार्थिव देह उसके घर के आंगन में पहुंची वहां मौजूद सैकड़ों महिलाओं के मुंह से चीखो पुकार निकलना शुरु हो गया। शहीद की बहन सपना का रो-रो कर बुरा हाल था। वह बार बार बोल रही थी कि भाई उठ जा। जैसे ही शहीद की पत्नी सविता ने अपने पति की पार्थिव देह को देखा वह बेसुध हो गई। फूट फूटकर रोने लगी। कभी अपने बच्चे को देखे तो कभी अपने पति की तरह देखे। शहीद की माता अनिता ने जब ताबूत आंगन में आते देखा तो उनके मुंह से सिर्फ एक ही शब्द निकल रहा था कि तू तो बोलकर गया था मां जल्दी वापस आऊंगा, लेकिन ऐसे आएगा यह तो नहीं कहा था। शहीद के पिता अशोक कुमार भी अपनी आंखों के आंसू नहीं रोक पाए। हालांकि वे सिर्फ एक बात कर रहे थे कि उनका परिवार देश सेवा को समर्पित रहा है। सैकड़ों लोग शहीद की अंतिम यात्रा में शामिल रहे और करीब साढ़े चार बजे शहीद की पार्थिव देह का अंतिम संस्कार कर दिया गया।