नौकरी छूटी, पत्नी ने छोड़ा पर नशा न छूटा
किसी की खुशी को कब ग्रहण लग जाए कोई नही जानता। एक हंसता खेलता परिवार कब टूट कर बिखर जाए कहा नही जा सकता । 30 वर्षीय विनोद (काल्पनिक नाम ) सेना में नोकरी करता था । शादी हुई एक 5 वर्ष की बेटी भी है । सेना से एक बार छुट्टी आया ,पुराने दोस्तों के साथ एक बार चिट्टे का स्वाद चखा फिर हमेशा के लिए उस नशे का गुलाम हो
अविनाश विद्रोही, गगरेट
किसी की खुशी को कब ग्रहण लग जाए कोई नहीं जानता। एक हंसता-खेलता परिवार कब टूट कर बिखर जाए कहा नहीं जा सकता। 30 वर्षीय विनोद (काल्पनिक नाम) सेना में नौकरी करता था। शादी हुई। एक पांच वर्ष की बेटी भी है। सेना से एक बार छुट्टी आया। पुराने दोस्तों के साथ एक बार चिट्टे का स्वाद चखा फिर हमेशा के लिए उस नशे का गुलाम हो गया। सेना में झगड़ा किया और नौकरी छोड़ दी। नौकरी छोड़ने के बाद अपने नशे के जुगाड़ के लिए शराब और चिट्टे की तस्करी शुरू कर दी। विनोद रुआंसी सी आवाज में बताता है, 'मैंने कसमें, वादे, प्यार, वफा सब तोड़ दिया। न जाने कितनी बार पत्नी की कसमें खाई, वादा किया कि सब छोड़ दूंगा, लेकिन उसको झूठ बोल कर फिर से नशा करना शुरू कर देता था। बार-बार झूठ बोलने की आदत से घर में झगड़े होने शुरू हो गए। गुस्से में मैंने पत्नी को बहुत बार पीटा भी। वह मेरा जुल्म सहती चली गई और मैं नशे की गर्त में और ज्यादा गिरता चला गया। बात तो हद से तब गुजरी जब मैंने अपनी पांच वर्ष की बेटी पर भी हाथ उठाया। बस उस दिन मेरी पत्नी मुझे छोड़कर चली गई। बहुत बार उसको वापस लेने गया, लेकिन वह कहती है तुम झूठे हो, फरेबी हो। भाई साहिब अब मुझे नशे से आजाद होना है।' विनोद अब चार महीने से नशा छोड़ चुका है। नशा न छोड़ने की वजह से अब जब पुराना समय याद करता है तो बड़ी देर तक रोता रहता है। विनोद अब सामान्य जीवन शुरू करना चाहता है, लेकिन उसे उम्मीद नही है कि उसकी पत्नी वापस आएगी।