मिनी ठेकों पर सबसे ज्यादा अवैध रूप से बिकती है मिलावटी शराब
जिला ऊना शराब की अवैध रूप से बिक्री के मामले में लंबे समय से चर्चा में है।
सतीश चंदन, ऊना
जिला ऊना शराब की अवैध रूप से बिक्री के मामले में लंबे समय से चर्चा में है। बेशक पुलिस प्रशासन की तरफ से शराब माफिया के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाती है। इसके बावजूद शराब माफिया बदस्तूर अन्य राज्यों से शराब की तस्करी करने में जुटा हुआ है। ऊना जिला में सबसे ज्यादा मिनी ठेकों पर मिलावटी शराब अवैध रूप से बिकती है। मिनी ठेके का अर्थ है कि लोग शराब को थोक में खरीद कर उसमें मिलावट कर उसकी घर व दुकानों में परचून में बिक्री करते हैं।
कई बार शराब माफिया पुलिस की गिरफ्त में आया है लेकिन उससे बरामद की गई शराब की मात्रा अधिक नहीं होती है। ऊना जिला के सीमावर्ती क्षेत्रों में शराब की सबसे अधिक तस्करी हो रही है। यह गैरकानूनी धंधा बंद नहीं हो पाया है। चंडीगढ़ व हरियाणा से अवैध रूप से लाई जा रही शराब
चंडीगढ़ व हरियाणा से शराब अवैध रूप से ऊना जिला में लाई जा रही है। शराब माफिया से जुड़े लोग पंजाब व ऊना जिला की सीमाओं से सटे वैकल्पिक रास्तों से होकर प्रवेश करते हैं। इस कारण चौकी व थाना स्तर भी पुलिस को माफिया के संबंध में भनक नहीं लग पाती है। यही कारण है कि शराब माफिया अपने अवैध धंधे को अंजाम देने में जुटा है। कैसे होता है शराब का गैरकानूनी धंधा
सीमावर्ती कस्बों में शराब के धंधे से जुड़ा माफिया पड़ोसी राज्य चंडीगढ़ व हरियाणा से शराब की खेप पहुंचता है। चौंकाने वाली बात यह है कि पड़ोसी राज्यों से आने वाली शराब को खुद वहां का माफिया यहां पर डिलीवर करता है। साथ में हिमाचल में बनने वाली शराब के लेबल को दो नंबर में बनाकर यहां के माफिया को देकर जाता है। ऐसे में यदि अन्य राज्य की शराब को ऊना जिला समेत अन्य जगह पर पुलिस पकड़ भी ले तो महज आबकारी अधिनियम के तहत केस दर्ज होगा। इसके विपरीत यदि अन्य राज्य की शराब बरामद होती है तो पुलिस अन्य राज्य की शराब के आधार पर कार्रवाई को अंजाम देती है। सस्ती शराब के चक्कर में सेहत से खिलवाड़
सरकार की तरफ से एक्साइज विभाग से लाइसेंस युक्त शराब की दुकानें खोली गई हैं। इन दुकानों में शराब के कारखानों से शराब पहुंचती है। प्रतिदिन शराब पीने के आदी कई लोग शराब की दुकानों पर महंगी शराब पीने से कतराते हैं। इसलिए ऐसे लोगों को ऊना जिला के कई गांवों में दुकानों व घरों में सस्ती शराब आसानी से मिल जाती है। सस्ती शराब के चक्कर में लोग अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। ढाबों व दुकानों में मिल जाता है शराब का गिलास
आलम यह है कि रोजाना शराब पीने वालों को महज 10 रुपये में भी शराब का गिलास ढाबों व दुकानों में मिल जाता है। शराब की सरकारी दुकानों पर इस तरह की सुविधा नहीं मिलती है। ऐसा भी नहीं है कि शराब माफिया के संबंध में पुलिस अनभिज्ञ है। कई जगह पर तो पुलिस जानबूझ कर इस तरफ अधिक ध्यान नहीं देती है। महज पुलिस के आला अधिकारियों की नजर में अपराध दर को कायम रखने के लिए यदा-कदा छापामारी जरूर की जाती है। लोग व जनप्रतिनिधि भी दोषी
ऊना जिला में अन्य राज्यों से शराब अवैध रूप से लगातार पहुंचती है लेकिन इसके खिलाफ शायद ही कोई नेता आवाज उठाता है। नेताओं को महज अपने क्षेत्र के विकास कार्यो समेत अन्य कामों से फुर्सत नहीं मिलती है। मिलावटी शराब के मामले में आम लोग व जनप्रतिनिधि भी दोषी हैं। लोग व जनप्रतिनिधि इस मामले में कभी आवाज नहीं उठाते हैं। शराब में मिलावट का खेल
ऊना जिला में कई सरकारी दुकानों से शराब लेकर मिनी ठेके संचालित करने वाले माफिया के लोग शराब में मिलावट करके लोगों को बेचते हैं। इससे लोगों की सेहत पर भी प्रभाव पड़ता है। शराब में मिलावट का खेल होता है। अन्य राज्यों से आने वाली शराब की बड़ी खेप व सरकारी दुकानों से माफिया द्वारा ली जाने वाले शराब में अपने ठिकानों पर मिलावट किए जाने की सूचनाएं हैं।
ऊना जिला में अन्य राज्यों समेत बिना दस्तावेज के आने वाली शराब की बड़ी खेप को बरामद किया गया है। इसके अलावा पुलिस की टीमें थाना व चौकी स्तर पर माफिया के खिलाफ कार्रवाई करती रहती हैं। यदि किसी जगह पर अन्य राज्य की शराब की तस्करी हो रही है तो उसके संबंध में पुलिस को सूचना दी जा सकती है। सूचना देने वाले का नाम व पता गुप्त रखा जाएगा।
-प्रवीण धीमान, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, ऊना जिला