चिंतपूर्णी में वापसी गेट की बजाय मुख्य मार्ग से जाने लगे श्रद्धालु
नवरात्र मेला खत्म होने के बाद मंदिर प्रशासन ने वापसी गेट की बजाय मुख्य मार्ग से ही श्रद्धालुओं को वापस भेजने की छूट प्रदान कर दी है।
बृजमोहन कालिया, चितपूर्णी
नवरात्र मेला खत्म होने के बाद मंदिर प्रशासन ने वापसी गेट की बजाय मुख्य मार्ग से ही श्रद्धालुओं को वापस भेजने की छूट प्रदान कर दी है। बेशक इस निर्णय के बाद बाजार के कुछ स्थानीय दुकानदारों को फायदा मिल सकता है लेकिन सवाल यह है कि क्या चितपूर्णी मंदिर में कोरोना का खतरा कम हो गया है। अगर नहीं तो प्रशासन को ऐसे निर्णय करने में क्यों जल्दबाजी करनी पड़ रही है।
यह तब है जब मुख्य मार्ग पर जरा सी भीड़ बढ़ने पर शारीरिक दूरी के नियम का पालन करवाने के लिए सुरक्षा बलों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। सोमवार को भी मुख्य बाजार से श्रद्धालुओं के वापस जाने के बाद कई बार ऐसे हालात बने, जब बड़ी संख्या में श्रद्धालु एक साथ खड़े नजर आए। वैसे भी चितपूर्णी में अब श्रद्धालुओं की संख्या का आंकड़ा किसी विशेष दिन पर निर्भर नहीं करता है। कभी दरबार में जरा भी भीड़ नहीं होती तो कभी कुछ देर बाद रश हो जाता है।
ऐसी स्थिति में प्रशासन का यह कहना कि भीड़ कम होने पर ही मुख्य मार्ग से श्रद्धालुओं को वापस भेज जाएगा, तर्कसंगत नहीं लगता। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए प्रशासन ने जो एसओपी बनाई थी, उसके पालन की अब भी आवश्यकता है, जिसके तहत गेट-एक व दो से श्रद्धालु मंदिर परिसर में प्रवेश कर सकते थे तो गेट-तीन के निकासी द्वार से श्रद्धालुओं को वापस भेजा जा रहा था। अब कोरोना वायरस के खतरे को ध्यान में रखते हुए प्रशासन को एक बार फिर से अपने ही निर्णय पर दोबारा विचार करना चाहिए ताकि श्रद्धालुओं के साथ स्थानीय वासियों व दुकानदारों का भी बचाव हो सके।
इस बारे में मंदिर अधिकारी रोहित जाल्टा ने कहा कि मंदिर न्यास के सहआयुक्त के निर्देश के बाद भीड़ कम होने पर मुख्य बाजार से श्रद्धालुओं को वापस भेजने की व्यवस्था की गई है, जबकि भीड़ वाले दिनों में इस मार्ग से श्रद्धालुओं के वापस जाने पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध रहेगा।