विकास में बाधा बनने लगी जमीन की कमी
प्रदेश में तमाम मंदिरों में आय के मुकाबले नंबर वन पर चल रहे चितपूर्णी मंदिर न्यास द्वारा जमीन खरीदने में बरती गई कंजूसी अब इस धार्मिक नगरी के विकास में बड़ी बाधा बनती नजर आ रही है।
नीरज पराशर, चितपूर्णी
प्रदेश में तमाम मंदिरों में आय के मुकाबले नंबर वन पर चल रहे चितपूर्णी मंदिर न्यास द्वारा जमीन खरीदने में बरती गई कंजूसी अब इस धार्मिक नगरी के विकास में बड़ी बाधा बनती नजर आ रही है। न्यास ने पुरानी गलतियों से अब तक सबक नहीं सीखा है। शंभू बाईपास के क्षेत्र सहित अन्य जगहों पर ट्रैफिक जाम के साथ अन्य समस्याएं खड़ी हो रही हैं।
मंदिर के अधिग्रहण के 32 वर्ष बाद स्थिति यह है कि मंदिर परिसर के आसपास के क्षेत्र से लेकर नए बस अड्डे तक न्यास के पास न के बराबर अपनी जमीन है, वहीं दूसरी तरफ बड़ी संख्या में इस प्राइम लोकेशन वाली जगहों पर बहुमंजिला धर्मशालाएं व सराय बन चुकी हैं। पूरे देशभर से प्रतिवर्ष 25 लाख के करीब मां के भक्त इस धार्मिक नगरी में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हैं, बावजूद इसके न्यास न तो प्रतीक्षालय तक का निर्माण करवा पाया है और न ही नए बस अड्डे से लेकर पुराने बस अड्डे तक शौचालयों की व्यवस्था हो पाई है।
दरअसल चितपूर्णी में मंदिर न्यास अपनी जमीन खरीदने में सदैव कंजूसी बरतता रहा है। 1987 में मंदिर अधिग्रहण के बाद मंदिर परिसर क्षेत्र के आसपास न्यास ने जमीन खरीदना उचित नहीं समझा। अब परिणाम यह है कि इस क्षेत्र में एक इंच भूमि खाली नहीं है। श्रद्धालुओं के लिए सराय या प्रतीक्षालय बनाना तो दूर की बात, न्यास के पास श्रद्धालुओं के लिए शौचालय बनाने के लिए जगह तक नहीं है।
हालांकि कोर्ट के आदेशों के बावजूद न्यास ने लक्कड़ बाजार के समीप जगह तो खरीदी और वहां पर शौचालयों का निर्माण भी हो चुका है, लेकिन नए बस अड्डे से पुराने बस अड्डे तक के क्षेत्र में न्यास के पास जगह न होने से श्रद्धालुओं को बेहद असुविधा का सामना करना पड़ता है।
मेले के दिनों में जब हर रोज लाइनें लगती हैं, ऐसे में श्रद्धालु प्रतीक्षा कक्ष की मांग करते देखे जाते हैं, लेकिन अकसर योजनाओं की फाइलों को रद्दी की टोकरी दिखाता रहा मंदिर न्यास इसके लिए वर्षो बाद भी कोई रूपरेखा तैयार नहीं कर पाया है।
हालांकि मंदिर न्यास के स्वागत कक्ष परिसर में इस तरह की योजना का समावेश है, बावजूद भरवाई से मुबारिकपुर तक के क्षेत्र में न्यास ने कुछ शौचालय व रेन शेल्टर बनाकर अपने कर्तव्य से इतिश्री कर ली है, लेकिन इसी मार्ग से अधिकतम श्रद्धालु गुजरते हैं और पैदल चलने वाले श्रद्धालुओं को सुविधाएं न होने से दिक्कत पेश आती है।
मंदिर न्यासियों राकेश समनोल, नरेन्द्र कालिया और विजय सिंह ठाकुर का कहना है कि अगर आसपास के क्षेत्रों में जमीन उपलब्ध है तो न्यास को खरीदने में परहेज नहीं करना चाहिए। इस मुद्दे को सरकार के जनप्रतिनिधियों के समक्ष भी रखा जाएगा। वहीं, मंदिर न्यास के एसडीओ आरके जसवाल ने बताया कि प्रसादम योजना के क्रियान्वित होने के बाद कई समस्याओं का हल हो जाएगा।