मंदिर की पौड़ियों पर ही माथा टेककर लौटे श्रद्धालु
कोरोना वायरस से बचाव के लिए सरकार ने धार्मिक स्थलों को बंद करने का आदेश दिया है।
बृजमोहन/महेश, चितपूर्णी
कोरोना वायरस से बचाव के लिए सरकार ने धार्मिक स्थलों को बंद करने का आदेश दिया है। इन आदेशों का चिंतपूर्णी मंदिर में भी व्यापक असर दिखा। चिंतपूर्णी मंदिर के मुख्य द्वार पर मंगलवार सुबह ठीक साढ़े नौ बजे श्रद्धालुओं की ज्यादा भीड़ नहीं थी। इसी बीच मंदिर न्यास के नियंत्रण कक्ष से यह घोषणा की जाती है कि मां के दरबार के कपाट दस बजे बंद हो जाएंगे। ऐसे में जो श्रद्धालु पुराने बस अड्डे के समीप मां के दर्शन करने आ रहे थे, वो भी दुकानों से बिना प्रसाद लिए ही मंदिर परिसर में पहुंचने लगे। दस बज चुके थे लेकिन अब भी कुछ श्रद्धालु मां के दर्शन करने के लिए अपनी बारी के इंतजार में थे। इसी समय चितपूर्णी पुलिस थाना का स्टाफ और मंदिर की सुरक्षा में तैनात होमगार्ड के जवान मंदिर प्रांगण को खाली करवा रहे थे, ताकि कोई श्रद्धालु कैंपस के भीतर न रह जाए। ठीक 10.12 बजे मंदिर के मुख्य द्वार के कपाट बंद कर दिए गए।
इसी बीच जिन श्रद्धालुओं ने मां के दर्शन नहीं किए थे, वे वापसी गेट पर एकत्रित होने लगे और मंदिर में आने का प्रयास करने लगे लेकिन सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें अंदर आने की अनुमति नहीं दी। 10.20 बजे यह गेट भी बंद कर दिया गया। इसके बाद भी कई श्रद्धालुओं का मुख्य गेट पर आना जारी रहा लेकिन मंदिर बंद होने के चलते भक्त पौड़ियों से ही माथा टेक कर लौट गए।
श्रद्धालु राजकुमार, ब्रजेश, कुलदीप, प्रीतम और रेखा ने बताया वे ज्येष्ठ मंगलवार होने के कारण हर महीने मां के दरबार में आते हैं। मंगलवार को भी वे अपने घरों से सुबह ही निकल आए थे लेकिन जब यहां पहुंचे तो पता चला कि मंदिर के कपाट बंद हैं। मंदिर प्रशासन को इस बारे में पहले जानकारी देनी चाहिए थी।
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बाजार में चहल पहल घटी
मंदिर बंद होने के बाद चितपूर्णी में चहल-पहल घटने लगी। हर रोज की तरह ठीक 12 बजे मां के दरबार में भोग भी पुजारी बारीदारों ने लगाया। उसके बाद प्रसाद मुख्य बाजार में बांटा गया। दोपहर बाद दो बजे माल रोड पूरी तरह से खाली नजर आया। तीन बजे भरवाई बाजार का जायजा लिया गया तो यहां भी बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को पुलिस चौक पर रोक रही थी और बताया जा रहा था कि चितपूर्णी मंदिर बंद है। इसी वक्त मां के दरबार में भीतर पुजारी वर्ग ने मां दुर्गा का पाठ करना भी शुरू कर दिया और देश व विश्व को कोरोना वायरस से बचाने के लिए मां के दर अरदास की गई। हवन-कुंड में आहुतियां भी डाली गई। इस दौरान किसी अन्य व्यक्ति को मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी। शाम होते-होते कई दुकानदारों ने भी अपनी दुकानें बंद करनी शुरू कर दीं और जो इक्का-दुक्का श्रद्धालु लौट रहे थे, वे यह जानकारी लेना चाह रहे थे कि मंदिर के कपाट कब खुलेंगे।