Move to Jagran APP

सूर्य ग्रहण पर भी खुले रहे चिंतपूर्णी मंदिर के कपाट

चिंतपूर्णी मंदिर के कपाट वीरवार को सूर्यग्रहण के समय भी खुले रहे।

By JagranEdited By: Published: Thu, 26 Dec 2019 06:53 PM (IST)Updated: Fri, 27 Dec 2019 06:17 AM (IST)
सूर्य ग्रहण पर भी खुले रहे चिंतपूर्णी मंदिर के कपाट
सूर्य ग्रहण पर भी खुले रहे चिंतपूर्णी मंदिर के कपाट

नीरज पराशर/बृजमोहन कालिया, चितपूर्णी

loksabha election banner

चिंतपूर्णी मंदिर के कपाट वीरवार को सूर्यग्रहण के समय भी खुले रहे। वीरवार सुबह 8.20 बजे जब वर्ष का अंतिम ग्रहण लगा हुआ था, ठीक उसी वक्त मां के मंदिर में श्रद्धालु माथा टेक रहे थे। वैसे चितपूर्णी मंदिर के कपाट सूर्यग्रहण के वक्त पहली बार खुले नहीं रहे। आज तक जितने भी ग्रहण लगे हैं, उस दौरान यह मंदिर कभी बंद नहीं रहा। वीरवार को भी मां की पावन पिडी का आम दिनों की तरह श्रृंगार हुआ। प्रात:कालीन आरती भी हुई। पुजारी वर्ग की कुल परंपरा के अनुसार चितपूर्णी मंदिर पर सूतक काल का प्रभाव नहीं पड़ता है। इस कारण ग्रहण के समय में भी मंदिर खुला रहता है। हालांकि ग्रहण के दौरान मां को भोग नहीं लगता है। ग्रहण खत्म होने के बाद एक बार फिर मंदिर में षोडशोपचार विधि से मां की विशेष पूजा होती है।

----------------

मान्यता के अनुसार पुजारी वर्ग को मां से मिला है वरदान

चितपूर्णी मंदिर का पुजारी वर्ग को मां के मंदिर में सूतक या पातक काल के दौरान भी पूजा-अर्चना कर सकता है। किवदंती के अनुसार मां दुर्गा के भक्त व पुजारी परिवार के पूर्वज बाबा माईदास ने मां चितपूर्णी से आशीर्वाद लिया था कि सूतक या पातक के समय में भी उनके परिवार के सदस्य मंदिर में पूजा कर सकें। तब से यह परंपरा चली आ रही है। वर्तमान में बाबा माईदास के वंशज पुजारी वर्ग के तीन सौ से ज्यादा परिवार हैं। ऐसे में किसी परिवार के घर में जन्म या मृत्यु हो जाती है, तब भी पुजारी वर्ग का सदस्य ही मंदिर में पूजा करवाता है।

----------------

ग्रहण के दौरान भी मां के मंदिर में पूजा-अर्चना की परंपरा है। मंदिर के कपाट भी खुले रहते हैं और श्रद्धालु भी मां के दरबार में हाजिरी लगवाने पहुंचते हैं। वीरवार को भी कुल परंपरा के मुताबिक ही मंदिर में मां की पावन पिडी का श्रृंगार हुआ। मां का भोग वैसे तो प्रतिदिन दोपहर 12 बजे लगता है लेकिन वीरवार को दोपहर बाद डेढ़ बजे लगाया गया।

-संदीप कालिया, पुजारी, माता चितपूर्णी मंदिर

--------------------

सूर्यग्रहण के दौरान चितपूर्णी मंदिर के कपाट बंद नहीं होते। वीरवार को भी ऐसा ही किया गया, लेकिन सूर्यग्रहण समाप्त होने के बाद मां के मंदिर में विशेष विधि से पूजा की गई। षोडशोपचार विधि से पूजा करने से मां प्रसन्न होती हैं और जगत का भी भला होता है।

-डॉ. राम कुमार कौल, पुजारी परिवार के कुल पुरोहित।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.