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होटल बनकर तैयार, लेकिन कौन करेगा संचालन

चिंतपूर्णी मंदिर न्यास का नए बस अड्डे के पास होटल लगभग बनकर तैयार है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 11 Dec 2019 07:06 PM (IST)Updated: Thu, 12 Dec 2019 06:14 AM (IST)
होटल बनकर तैयार, लेकिन कौन करेगा संचालन
होटल बनकर तैयार, लेकिन कौन करेगा संचालन

संवाद सहयोगी, चिंतपूर्णी

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चिंतपूर्णी मंदिर न्यास का नए बस अड्डे के पास होटल लगभग बनकर तैयार है। पर्यटन विभाग द्वारा निर्मित इस होटल पर करीब नौ करोड़ रुपये का खर्च आया है लेकिन स्वागत कक्ष व पार्किंग परिसर की तर्ज पर एक बार फिर वही सवाल खड़ा हो गया है कि इस होटल का संचालन कौन करेगा। यह प्रश्न इसलिए भी कि मंदिर न्यास के पास प्रशासनिक कार्यो के लिए भी पर्याप्त स्टाफ उपलब्ध नहीं है।

दरअसल बिना होमवर्क किए मंदिर प्रशासन की योजनाएं धरातल पर सही ढंग से नहीं उतर पा रही हैं। आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित इस होटल में 30 से ज्यादा कमरे हैं। दो डोरमेट्री हॉल हैं। इसके अलावा इसी होटल के परिसर में रेस्टोरेंट भी बनाया गया है। भवन का निमरण अब अंतिम चरण में है, लेकिन मंदिर न्यास को अब तक यह पता नहीं है कि इस होटल का संचालन कैसे किया जाए।

बड़ी बात यह भी है कि नए बस अड्डे के पास यह होटल प्राइम लोकेशन जगह पर स्थित है लेकिन स्टाफ की कमी से लंबे समय से जूझ रहा मंदिर न्यास इस होटल के लिए स्टाफ का प्रबंध कहां से कर पाएगा। पूर्व मंदिर न्यासी संजीव शर्मा ने कहा मंदिर न्यास चितपूर्णी द्वारा पूर्व में बनाई गई ऐसी योजनाएं भविष्य को ध्यान में रखकर नहीं बनाई गई थीं। स्वागत कक्ष परिसर वीरान पड़ा है। लाजिमी है कि इस होटल का भी ऐसे ही हाल होगा। मंदिर न्यास को श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाए गए पैसे का सदुपयोग करना चाहिए।

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होटल का निर्माण कार्य पूरा होने वाला है। इस परिसर का संचालन न्यासियों के परामर्श व उच्चाधिकारियों द्वारा लिए गए निर्णय के बाद ही फाइनल होगा।

-आरके जसवाल, सहायक अभियंता, मंदिर न्यास।

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स्वागत कक्ष भी वीरान

वर्ष 2017 में चितपूर्णी सदन यानी स्वागत कक्ष व पार्किंग परिसर का निर्माण पूरा हो गया था। इस पर करीब 56 करोड़ खर्च आया। प्रोजेक्ट को निजी हाथों में सौंपने के लिए मंदिर न्यास ने तमाम उपाय किए लेकिन एक पार्टी के अलावा कोई भी संचालन के लिए सामने नहीं आया। ऐसे में मंदिर प्रशासन ने खुद इस परिसर के संचालन की जिम्मेदारी भी ली। ताजा हालात यह हैं कि इस परिसर में सिर्फ लंगर का ही संचालन हो पा रहा है। जो श्रद्धालुओं को अन्य सुविधाएं इस परिसर में दी जानी थी, उन पर कोई गौर आज तक किसी ने नहीं किया गया।


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