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माता चिंतपूर्णी के लाइव दर्शन कराने की योजना अधर में

आज के डिजिटल युग में मां चितपूर्णी मंदिर के सजीव प्रसारण की सुविधा श्रद्धालुओं को नहीं मिल पाई है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Nov 2019 06:10 PM (IST)Updated: Tue, 26 Nov 2019 06:19 AM (IST)
माता चिंतपूर्णी के लाइव दर्शन कराने की योजना अधर में
माता चिंतपूर्णी के लाइव दर्शन कराने की योजना अधर में

नीरज पराशर, चिंतपूर्णी

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आज के डिजिटल युग में मां चितपूर्णी मंदिर के सजीव प्रसारण की सुविधा श्रद्धालुओं को नहीं मिल पाई है। कुछ समय से मंदिर न्यास की बैठकों में इस मद पर चर्चा हो रही है लेकिन माता चितपूर्णी के प्रचार-प्रसार को लेकर न्यास की योजनाएं अब तक कागजों से बाहर नहीं निकल पाई हैं।

प्रदेश में सबसे ज्यादा आय वाले इस मंदिर को ट्रस्ट ने इंटरनेट से जोड़ने की बात काफी पहले की थी। मां वैष्णो देवी की तर्ज पर चितपूर्णी मंदिर को ऑनलाइन करने की घोषणा और इस पर चर्चा मंदिर न्यास की बैठकों में कई बार हुई, जिसमें यह भी कहा गया कि मां की पवित्र पिडी के लाइव दर्शन की सुविधा श्रद्धालुओं को उपलब्ध करवाई जाएगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो पाया।

ऐसा नहीं कि मंदिर न्यास के पास संसाधनों या साइट का खर्च उठाने के लिए धन की कोई कमी है लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों में इच्छाशक्ति के अभाव में यह योजना अब तक लटकी हुई है। अभी हाल ही में हुई मंदिर न्यास की बैठके में माता चितपूर्णी को यूटयूब से सीधा प्रसारण करने का विचार भी रखा गया लेकिन इस पर बाद में निर्णय लिया गया कि योजना को मंदिर के प्रचार-प्रसार में परिवर्तित कर दिया जाए। मंदिर न्यास को टाटा कम्युनिकेशन लिमिटेड और पंजाब के निजी न्यूज चैनल ने भी सजीव प्रसारण और मां चितपूर्णी के मंदिर में आयोजित होने वाली आरती के प्रसारण की पेशकश की थी। दोनों ही संस्थाओं ने इस एवज में मंदिर न्यास से इसके लिए वार्षिक शुल्क लेने की बात कही थी।

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चितपूर्णी में हैं दर्शनीय पर्यटक व धार्मिक स्थल

विदेशों या दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले श्रद्धालुओं द्वारा ऑनलाइन दर्शन करने की मांग को लंबे समय से की जा रही है लेकिन इस अनुरोध पर मंदिर न्यास गंभीरता से कार्य नहीं कर पाया है। वहीं चितपूर्णी के आसपास के क्षेत्र में भी कई दर्शनीय पर्यटक व धार्मिक स्थल हैं। जानकारी के अभाव में श्रद्धालु वहां नहीं जा पाते हैं। चितपूर्णी से मां शीतला का मंदिर मात्र चार किलोमीटर की दूरी पर है। वहीं बधमाणा सिद्ध, चन्नौर ठाकुरद्वारा, बाबा नकोदर दास की गद्दी और माता बगलामुखी का प्राकृतिक मंदिर ऐसे स्थल हैं, जिन्हें अगर इंटरनेट से कवरेज दी जाए तो न सिर्फ श्रद्धालु इन स्थानों पर जा सकेंगे, वहीं धार्मिक पर्यटन का दायरा भी और विस्तृत हो जाएगा।

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बैठक में करेंगे चर्चा

पूर्व मंदिर न्यासी संजीव शर्मा ने कहा न्यास को लाइव दर्शन की योजना पर काम करना चाहिए। वो भी तब जब मंदिर न्यास की खुद की वेबसाइट है और इस पर काम हो सकता है। उधर, इस बारे में मंदिर न्यासियों नरेंद्र कालिया, राकेश समनोल और विजय कुमार कहना है कि न्यास की आगामी बैठकों में इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी।


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