कतार में लगे श्रद्धालुओं की बैक डोर एंट्री करने वालों से कहासुनी
सिफारिश धन और रुतबे का इस्तेमाल करके कुछ लोग प्रसिद्ध तीर्थस्थल चितपूर्णी में शार्टकट रास्तों से मां के दरबार में पहुंच रहे हैं।
जागरण टीम, चितपूर्णी : सिफारिश, धन और रुतबे का इस्तेमाल करके कुछ लोग प्रसिद्ध तीर्थस्थल चितपूर्णी में शार्टकट रास्तों से मां के दरबार में पहुंच रहे हैं। इससे व्यवस्था बिगड़ रही है जिससे आम श्रद्धालुओं को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही कुछ स्थानीय दुकानदारों की वजह से भी पंक्ति व्यवस्था प्रभावित हो रही है। स्थानीय प्रशासन का ढुलमुल रवैया व्यवस्था पर भारी पड़ रहा है।
इन दिनों चिंतपूर्णी में ऑफ सीजन में भी श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। रविवार के दो दिन बाद मंगलवार को भी कई लोगों ने चोर दरवाजों से मां के दर्शन किए लेकिन ऐसे श्रद्धालुओं को कतार में लगे भक्तों के गुस्से का सामना करना पड़ा। कुछ श्रद्धालु चोर दरवाजों से पहुंचकर मंदिर के मुख्य द्वार से कुछ पहले बीच में घुसने का प्रयास कर रहे थे। इस वजह से पहले से ही कतार में लगे श्रद्धालुओं और इन लोगों के बीच कहासुनी हो गई। पंक्ति में लगे भक्तों का कहना था कि वे काफी देर से खड़े हैं, लेकिन कुछ लोग शार्टकट से माता रानी के दर्शन करने के लिए पंक्ति व्यवस्था को बाधित करते हैं। इससे मां के दरबार में पहुंचने के लिए अधिक समय लग जाता है। इन श्रद्धालुओं ने बैक डोर एंट्री का विरोध किया और चोर दरवाजों से आने वालों को मुख्य लाइन में घुसने नहीं दिया। घटना के समय उक्त जगह पर कोई सुरक्षा कर्मी भी मौजूद नहीं था। कुछ श्रद्धालुओं ने ही इस मामले को शांत करवाया। वहीं होमगार्ड के प्लाटून कमांडर शंकर ने बताया कि मुख्य गेट के आसपास हमेशा सुरक्षा कर्मी तैनात रहते हैं। हो सकता है कि उस वक्त जवान खाना खाने गए हों। निकट भविष्य में इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो, इसका ख्याल रखा जाएगा।
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फिर कैसा पर्ची सिस्टम?
मंदिर प्रशासन बेशक श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं देने के दावे तो करता है लेकिन जमीन पर सच्चाई कुछ और ही नजर आती है। पंक्ति में लगे श्रद्धालुओं में शामिल बुजुर्गो, महिलाओं और बच्चों के लिए कई घंटे खड़े होकर यह समय बिताना किसी परेशानी से कम नहीं होता है। नए बस अड्डे के आगे के क्षेत्र में कोई सार्वजनिक शौचालय तक नहीं बना है, जिससे श्रद्धालुओं को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वहीं, जब चोर दरवाजों से बैक डोर एंट्री होती है तो दर्शन लाइन बड़ी धीमी गति से आगे बढ़ती है। कुछ लोग चंद मिनटों में ही दर्शन करके बाहर आ जाते हैं, जबकि हजारों श्रद्धालु अपनी बारी का कई घंटे इंतजार करते हैं। ऐसे में सवाल यही है कि अगर पर्ची सिस्टम बनाया गया है तो क्यों नहीं उसे ढंग से लागू नहीं किया जाता। इस बारे में पूर्व मंदिर न्यासी संजीव शर्मा ने कहा कि मंदिर न्यास को व्यवस्था में पारदर्शिता लानी चाहिए। न्यास द्वारा जो भी योजनाएं बनाई जाती हैं, उन्हें श्रद्धालुओं के हित में धरातल पर भी उतारना चाहिए।