चालीस हजार श्रद्धालुओं ने चिंतपूर्णी में टेका माथा
प्रसिद्ध तीर्थस्थल ¨चतपूर्णी में करीब चालीस हजार श्रद्धालुओं ने नववर्ष का आगाज मां के चरणों में शीश नवाकर किया।
संवाद सहयोगी, चिंतपूर्णी : प्रसिद्ध तीर्थस्थल ¨चतपूर्णी में करीब चालीस हजार श्रद्धालुओं ने नववर्ष का आगाज मां के चरणों में शीश नवाकर किया। नववर्ष मेले के पहले तीन दिन में अब तक 70 हजार श्रद्धालु मां की पावन ¨पडी के दर्शन कर चुके हैं। मां के दरबार में सोमवार रात से ही भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी लेकिन पिछले वर्षो की अपेक्षा कम श्रद्धालु पहुंचे। पूर्व के वर्षो में जहां श्रद्धालुओं को होटलों व सरायों के कमरे बुक होने के कारण अपनी गाड़ियों या सड़कों पर ही रात बितानी पड़ती थी, वहीं इस बार ¨चतपूर्णी में ऐसे भवनों के बीस फीसद कमरे खाली ही रह गए। बावजूद यहां पहुंचे श्रद्धालुओं ने नववर्ष आगमन का स्वागत मां के चरणों में बेहद जोश और उत्साह के साथ किया। जैसे ही रात एक बजे मंदिर के कपाट खुले तो धार्मिक नगरी मां के जयकारों से गूंज उठी। कई श्रद्धालुओं ने आतिशबाजी चलाकर नववर्ष की खुशी मनाई। हालांकि मंदिर न्यास ने आतिशबाजी न करने की श्रद्धालुओं से अपील की थी लेकिन रात को मोगा धर्मशाला और माल रोड पर यात्री पटाखे फोड़ते रहे। ऐसे में स्थानीय पुलिस थाना इंचार्ज गौरव भारद्वाज ने मोर्चा संभाला और ऐसे श्रद्धालुओं को वहां से खदेड़ा। मंदिर खुलने के साथ मां के दर कतारें लग गई जो मंगलवार देर शाम तक ज्यों की त्यों रहीं।
----------------------
बेहतर रही प्रशासनिक व्यवस्था
प्रशासनिक व्यवस्था नववर्ष मेले को लेकर चुस्त दुरस्त रही। बड़े वाहनों को भरवाई में ही रोकने की व्यवस्था की गई थी, जिस कारण ट्रैफिक व्यवस्था सुचारू रूप से चलती रही। वहीं मां के दर्शन के लिए कतार में लगे श्रद्धालुओं को लंबा इंतजार नहीं करना पड़ा। पंक्ति व्यवस्था भी सुचारू रूप से चलती रही। मंदिर के लिफ्ट वाले मार्ग का दुरुपयोग भी नहीं हुआ। बैक डोर एंट्री पर पूर्ण रूप से सख्ती रही। मुबारिकपुर से लेकर शीतला मंदिर तक के क्षेत्र में तीस से अधिक धार्मिक संस्थाओं ने लंगरों का भी आयोजन किया था। मेला अधिकारी सुनील वर्मा और पुलिस मेला अधिकारी मनोज जम्वाल खुद भरवाई से लेकर चिंतपूर्णी तक व्यवस्था का जायजा लेते रहे।
-----------------------
श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बेहतर इंतजाम किए गए थे। पूर्व के अनुभवों को आधार बनाकर इस बार व्यवस्था इस तरह की गई थी कि दर्शनों के लिए मां के भक्तों को इंतजार के साथ किसी दिक्कत का सामना न करना पड़े। दिव्यांग, बीमार व बुजुर्ग यात्रियों के लिए लिफ्ट से दर्शन करवाए गए, जबकि ऐसे श्रद्धालुओं के लिए नए बस अड्डे से मंदिर परिसर क्षेत्र तक विशेष एंबुलेंस सुविधा का भी प्रावधान किया गया था।
--सुनील वर्मा, मेला अधिकारी, चिंतपूर्णी