Move to Jagran APP

चिंतपूर्णी कॉलेज कागजों में ही सरकारी

नया शैक्षणिक सत्र एक जुलाई से शुरू होने जा रहा है। लाजिमी है कॉलेज में दाखिला लेने के लिए विद्यार्थियों में भी उत्साह है। बावजूद अपने घर में सरकारी कॉलेज होने के स्थानीय विद्यार्थी अब भी अंब या ढलियारा में जाना पसंद कर रहे हैं। इतना लंबा सफर तय करने के पीछे वजह यही है कि चितपूर्णी का कॉलेज सिर्फ कागजों में ही सरकारी हो पाया है। महाविद्यालय में स्टाफ की कमी है तो भवन का निमरण अब तक नहीं हो पाया है। ऐसे में सुरक्षित भविष्य को ध्यान में

By JagranEdited By: Published: Fri, 28 Jun 2019 06:50 PM (IST)Updated: Fri, 28 Jun 2019 06:50 PM (IST)
चिंतपूर्णी कॉलेज कागजों में ही सरकारी
चिंतपूर्णी कॉलेज कागजों में ही सरकारी

नीरज पराशर, चिंतपूर्णी

loksabha election banner

कॉलेजों में नया शैक्षणिक सत्र पहली जुलाई से शुरू होने जा रहा है। कॉलेज में दाखिला लेने के लिए विद्यार्थियों में आजकल काफी उत्साह है। बावजूद अपने घर में सरकारी कॉलेज होने के बाद भी स्थानीय विद्यार्थी अब भी अम्ब या ढलियारा जाना पसंद कर रहे हैं। इतना लंबा सफर तय करने के पीछे वजह यही है कि चितपूर्णी कॉलेज सिर्फ कागजों में ही सरकारी हो पाया है। महाविद्यालय में स्टाफ की कमी है तो भवन का निर्माण अब तक नहीं हो पाया है। ऐसे में सुरक्षित भविष्य को ध्यान में रखते हुए अभिभावक बच्चों को दूरदराज के शिक्षण संस्थानों में भेजने को मजबूर हैं। इसका पता यहीं से चलता है कि अन्य कॉलेजों में विवरण पुस्तिकाएं हजारों के हिसाब से बिक चुकी हैं, वहीं इस कॉलेज का आंकड़ा डेढ़ सौ के आसपास है। यह अलग बात है कि चिंतपूर्णी कॉलेज में अभी तक कला व वाणिज्य संकाय वर्ग की कक्षाएं ही चल रही हैं।

महाविद्यालय में राजनीति शास्त्र और कॉमर्स जैसे महत्वपूर्ण विषयों के प्राध्यापकों के पद रिक्त हैं तो एक क्लर्क, एक वरिष्ठ सहायक, दो चपरासी और दो चौकीदार के पद रिक्त हैं। ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि नए शैक्षणिक सत्र में कॉलेज में कैसी व्यवस्था रहने वाली है। इसके अलावा कॉलेज का भवन कहां बनना है, इस पर भी कोई फाइनल निर्णय नहीं हो पाया है। कॉलेज अब भी पुराने भवन में चल रहा है, जहां अन्य सुविधाओं के साथ खेल मैदान का भी अभाव है। अभिभावक राजकुमार, संजीव, सुरेश, सुरेंद्र व मीना देवी का कहना है कि चितपूर्णी महाविद्यालय में अतिशीघ्र विज्ञान की कक्षाएं शुरू होनी चाहिए।

--------------------

स्टाफ के पद रिक्त हैं, लेकिन विभाग को इस बारे में अवगत करवा दिया गया है। कॉलेज भवन को लेकर उच्च प्रशासनिक स्तर पर ही कोई निर्णय होना है।

-डॉ. एसके बंसल, प्राचार्य, चिंतपूर्णी कॉलेज।

-------------------

साइंस संकाय के लए तय करनी पड़ रही दूरी

जमा दो के बाद अगर किसी विद्यार्थी की रुचि साइंस विषय में है तो उसे चितपूर्णी कॉलेज होने के बावजूद तीस से चालीस किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ेगी। इस कारण यह है कि कॉलेज में अभी तक विज्ञान संकाय की कक्षाएं शुरू नहीं हो पाई हैं। ऐसे में विद्यार्थियों को अम्ब या ढलियारा कॉलेज जाना पड़ रहा है। चितपूर्णी के घंगरेट से अम्ब की दूरी चालीस किलोमीटर है। ऐसे में विद्यार्थियों का ज्यादातर समय सफर में ही व्यतीत हो जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.