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षष्ठी पूजन के लिए गंगा नदी तट में बदला स्वां का तट

जिले में रह रहे बिहार मूल के निवासियों ने छठ महापर्व के तीसरे दिन स्वां नदी तट लाल सिगी में सूर्य देव की आराधना कर संतान के सुखी जीवन की कामना की।

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 Nov 2020 08:37 PM (IST)Updated: Fri, 20 Nov 2020 08:37 PM (IST)
षष्ठी पूजन के लिए गंगा नदी तट में बदला स्वां का तट
षष्ठी पूजन के लिए गंगा नदी तट में बदला स्वां का तट

संवाद सहयोगी, ऊना : जिले में रह रहे बिहार मूल के निवासियों ने छठ महापर्व के तीसरे दिन स्वां नदी तट लाल सिगी में सूर्य देव की आराधना कर संतान के सुखी जीवन की कामना की। षष्टी के दिन से ही स्वां नदी घाट के किनारे को टेंट आदि से सजाया गया था। शाम चार बजे के व्रतधारियों सहित उनके पारिवारिक सदस्यों की मौजूदगी ने स्वां नदी को गंगा घाट में बदल दिया।

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सभी ने विधिवत पूजा-अर्चना एवं सूर्य अ‌र्घ्य देकर अनुष्ठान पूरा किया। दोपहर बाद दो बजे से लोगों के यहां पहुंचने का क्रम जारी था। शाम पांच बजे तक यहां ऊना सहित आसपास रहने वाले बिहार मूल के निवासियों की संख्या लगभग पांच सौ के करीब पहुंच गई। इस दौरान कोविड नियमों को ध्यान में रखते हुए कुर्सियों सहित पूजा के लिए बनाए गए स्थानों में भी उचित शारीरिक दूरी का पैमाना तय किय गया था। इससे पूर्व महिलाओं ने महापर्व के तहत नहाय खाय एवं खरना अनुष्ठान के तहत पूजा-अर्चना को संपन्न कर लिया है।

लोगों ने छठ महापर्व को मनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। शुक्रवार को लाल सिगी में स्वां नदी के किनारे सजावट के साथ आतिशबाजी एवं पटाखे चलाकर सूर्य देव एवं छठी मईया की पूजा-अर्चना की गई। सूर्यास्त के समय अ‌र्घ्य देकर सभी ने एक-दूसरे की मंगल कामना की।

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आज पारण के साथ पूरा करेंगे करेंगे व्रत

स्वां नदी के किनारे पहुंचे व्रतधारियों ने शुक्रवार को छठ महापर्व के तीसरे दिन षष्ठी पूजा की। सभी ने सूर्यास्त के समय सूर्यदेव को अ‌र्घ्य देकर मनोकामना की। शनिवार को महापर्व के अनुष्ठान के अंतिम रोज सप्तमी को सूर्योदय के समय में अ‌र्घ्य दिया जाएगा जिसके बाद पारण कर 36 घंटे के व्रत को पूरा किया जाता है। इसके लिए कुछ लोग स्वां नदी के किनारे रुके हैं तो आसपास के लोग अपने निवास स्थानों के लिए रवाना हो गए थे।


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