ऊनावासियों ने भर्ती के लिए आए युवाओं का जीता दिल
ऐसे ही नहीं है ऊना नंबर वन भर्ती होने आए युवाओं का जीता दिल
-युवाओं के लिए सामाजिक संस्थाओं ने लंगर व ठहरने की है व्यवस्था
संवाद सहयोगी, ऊना : कभी श्रद्धालुओं तो कभी मरीजों के लिए भंडारा लगाना ऊना की संस्कृति में शामिल है। ऐसे में कड़ाके की ठंड में ऊना में सेना भर्ती के लिए आए युवाओं को ठहरने व खाने की व्यवस्था कर फिर ऊनावासियों ने लोगों का दिल जीता है। इससे पहले भर्तियों में ठंड के बीच युवाओं का रात्रि ठहराव व खानपान मुश्किलों भरा नजर आता था।
भर्ती के लिए आए युवाओं के ठहरने व खाना-पीने के लिए लंगर की सराहना न केवल स्थानीय लोग व बुद्धिजीवी कर रहे हैं, बल्कि सेना के अधिकारी भी प्रशंसा कर रहे हैं। ऊना में नौ नवंबर से शुरू हुई भर्ती के लिए युवाओं का आगमन आठ जनवरी से हो गया था। युवाओं के लिए सामाजिक संस्थाओं ने राधा-कृष्ण मंदिर कोटला कलां, महादेव मंदिर कोटला कलां, गुरुद्वारा शहीद सिंहा, भाई जवाहर सिंह धर्मशाला में ठहरने व भोजन की व्यवस्था की थी। वहीं भर्ती स्थल के नजदीक कॉलेज परिसर में ऊना जनहित मोर्चा व श्री रामलीला कमेटी द्वारा सुबह, दोपहर व रात्रि में तीन समय के भोजन की व्यवस्था की है। अकेले कॉलेज परिसर के पास चले लंगर में ही आठ से 10 जनवरी तक लगभग छह हजार युवा भोजन ग्रहण कर चुके हैं।
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ऊना में भर्ती के दौरान ठहराव व लंगर लगाना युवाओं के लिए सर्द रातों में किसी वरदान से कम नहीं है। कई स्थानों पर हमने भी सेना भर्ती रैली देखी है। बाहर भर्ती देखने के दौरान जहां ठहराव को लेकर चिता सामने होती थी। वहीं खानपान भी बड़ी चुनौती का विषय रहता था। ऊना वासियों ने नई मिसाल प्रस्तुत की है। यकीनन ही यह अन्य राज्यों के लिए भी मिसाल साबित होगा।
-लक्की हीरा, सैनिक, संतोषगढ़।
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जिन संस्थाओं ने युवाओं के लिए ठहरने व लंगर की व्यवस्था की है, उन्हें नमन है। मैं पुलिस में सेवा दे रहा हूं। पुलिस में आने से पूर्व पुलिस व सेना की भर्ती को देखा है। इस दौरान युवाओं की दुख तकलीफों को भली भांति जानता हूं। कई बार कड़ाके की ठंड, भूख प्यास सही न मिलने के कारण युवा अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते। जो युवा ऊना भर्ती के बाद देश सेवा के लिए जाएंगे यकीनन ऊना को समाजसेवा से जुड़े इस पुनीत कार्य के लिए याद रखेंगे।
-सुनील ठाकुर, आरक्षी हिमाचल पुलिस।
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भर्ती में ऊना आने से पूर्व चिता थी कि कैसे ठहराव होगा ओर खाने पीने की व्यवस्था का बजट भी बनाया था, लेकिन यहां आकर पता चला कि समाजसेवी संस्थाएं रहने का प्रबंध भी कर रहीं हैं और तीन टाइम का खाने पीने की व्यवस्था। यकीन मानिए चिंता दूर हई। ऊनावासियों ने एक मिसाल प्रस्तुत की है।
-अभिषेक ठाकुर, बिलासपुर।
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जैसे ही ऊना पहुंचा तो यहां आकर देखा तो सड़क किनारे भर्ती होने आए युवाओं के लिए रहने व भोजन की निशुल्क व्यवस्था के बोर्ड लगे हुए हैं। अपने आप में अनूठी पहल थी जिसे देख कर मैं व मेरे साथ आए अन्य युवा गदगद हो गए। -विकास कुमार, हमीरपुर।
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ऊना जिले की संस्थाएं भर्ती होने आए युवाओं के लिए बड़ी प्रेरणास्रोत बनी हैं। आगे का सफर भर्ती में आए युवा के लिए कैसा भी रहे, लेकिन ऊना की संस्थाओं की पहल हमेशा याद रहेगी।
-अमित, बिलासपुर।
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कड़ाके की ठंड में कई अन्य जिलों में भर्ती देखी है जहां रहने व खाने-पीने का प्रबंध स्वयं विपरीत परिस्थितियों में ही करना पड़ता था। ऊना में संस्थाओं की पहल सराहनीय है और यादगार भी। अन्य जिलों को भी इससे सबक लेना चाहिए।
-नीरज, बिलासपुर।