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आंगनबाड़ी कर्मचारियों ने मांगा हरियाणा की तर्ज पर वेतनमान

आंगनबाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स यूनियन ने मांगों के समर्थन में शनिवार को चितपूर्णी के विधायक बलबीर सिंह को उनके अम्ब स्थित कार्यालय में ज्ञापन सौंपा। यूनियन प्रधान आशा कुमारी की अगुआई में विधायक को दिए ज्ञापन में यूनियन के सदस्यों ने सरकार से प्री-प्राइमरी स्कूलों में सौ फीसद नियुक्तियां आंगनबाड़ी से ही करने की मांग उठाई है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 29 Jan 2022 04:34 PM (IST)Updated: Sat, 29 Jan 2022 04:34 PM (IST)
आंगनबाड़ी कर्मचारियों ने मांगा हरियाणा की तर्ज पर वेतनमान
आंगनबाड़ी कर्मचारियों ने मांगा हरियाणा की तर्ज पर वेतनमान

संवाद सहयोगी, अम्ब : आंगनबाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स यूनियन ने मांगों के समर्थन में शनिवार को चितपूर्णी के विधायक बलबीर सिंह को उनके अम्ब स्थित कार्यालय में ज्ञापन सौंपा। यूनियन प्रधान आशा कुमारी की अगुआई में विधायक को दिए ज्ञापन में यूनियन के सदस्यों ने सरकार से प्री-प्राइमरी स्कूलों में सौ फीसद नियुक्तियां आंगनबाड़ी से ही करने की मांग उठाई है।

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उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी वर्कर लंबे समय से छोटे-छोटे बच्चों की देखभाल कर रही हैं। ऐसे में सरकारी स्कूलों में खोली गई नर्सरी और केजी कक्षाओं की शिक्षा के लिए शिक्षक सिर्फ उन्हें ही तैनाती दी जाए।

इसके अलावा यूनियन ने हरियाणा की तर्ज पर वेतनमान देने और सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष करने की मांग भी की है। सेवानिवृत्त होने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायक को तीन हजार रुपये पेंशन व दो लाख रुपये की ग्रेच्युटी देने तथा मई 2013 से 2015 तक नेशनल रूरल हेल्थ मिशन के तहत बकाया राशि का भुगतान तुरंत करने की मांग की है।

उन्होंने कहा कि जीसीडीएस बजट में कटौती न की जाए, इसका सीधा प्रभाव बच्चों व लाभार्थियों पर पड़ता है। उन्होंने मिनी आंगनबाड़ी कर्मियों को अन्य कर्मियों के बराबर वेतन देने व पंजाब की तर्ज पर उन्हें भी सभी प्रकार की छुट्टियां व मेडिकल भत्ता देने की मांग की। इसके अलावा उन्होंने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की सेवानिवृत्ति अथवा किसी वजह से पद खाली होने पर पंचायत की परिधि में कार्यरत योग्य सहायक को कार्यकर्ता के रूप में नियुक्त करने व अपने विभाग के सिवाय अन्य विभागों के काम करने पर इन्हें इनसेंटिव देने की मांग उठाई। यूनियन सदस्यों ने कहा कि अगर उनकी मांगों पर विचार नहीं किया गया तो उन्हें मजबूरन आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा।


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