लावारिस पशुओं को छत, किसानों को राहत
ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जो लावारिस पशुओं की समस्याओं से न जूझ रहा हो।
मुकेश कुमार
हरोली (ऊना) : जिले का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जहां पर लोग लावारिस पशुओं की समस्या से न जूझ रहे हों। इसके समाधान के लिए सरकारी मदद की तरफ ताकना लोगों की उम्मीद हो सकती है लेकिन इसे मजबूरी का नाम देना ठीक नहीं होगा। अगर लोग खुद भी आगे आकर कदम बढ़ाएं तो समस्या का समाधान हो सकता है। यह उदाहरण हरोली क्षेत्र के सलोह गांव के किसानों व लोगों ने दिया है। सरकार ने जब यहां पर गोसदन बनाने का प्रस्ताव रखा तो किसानों ने दो कदम आगे बढ़ाए। इसका नतीजा यह हुआ है कि यहां पर गोसदन बनकर तैयार हो गया। गोशाला बनाने के लिए करीब 13 लाख रुपये की ग्रांट सरकार ने दी, बाकी दो-तीन लाख रुपये लोगों ने खुद डाले। इतना ही नहीं यहां गोशाला में लावारिस पशुओं की देखभाल के नियुक्त गए कर्मचारी को भी लोगों खुद वेतन दे रहे हैं। इसके लिए कमेटी का गठन किया गया है। अब यहां के किसानों में फिर से खेतीबाड़ी करने की उम्मीद पैदा हुई है।
क्षेत्र के सलोह, घालूवाल, भदसाली, बढ़ेड़ा गांवों के किसान लावारिस पशुओं से तंग थे। उनकी फसलों को लावारिस पशु चट कर जाते थे। किसानों को रात को भी अपनी फसलों की निगरानी करनी पड़ रही थी। अब लावारिस पशुओं को पकड़कर गोशाला में पहुंचाया जा रहा है। इन पशुओं के रखरखाव की कमेटी द्वारा उचित व्यवस्था की गई है। गोसदन में दो शेड बनाए गए हैं और एक ऑफिस भी बनाया गया है।
--------------------
गोशाला में 29 लावारिस पशु
गोसदन में वर्तमान समय में 60 पशु रखे जा सकते हैं। मौजूदा समय मे इसमें 29 पशु हैं जिसमे पांच छोटे व बाकी बड़े हैं, जिनके रहने, चारे सहित अन्य प्रकार की व्यवस्थाएं समिति ने संभाली हैं। गोसदन में वेटरनरी डॉक्टर मनोज शर्मा पशुओं की देखभाल करते हैं। उन्होंने बताया कि गोशाला में पशुओं की पूरी देखभाल की जा रही है।
---------------
लोगों से की अपील
एसडीएम हरोली दिलेराम धीमान व पंचायत प्रधान मधु धीमान ने लोगों से अपील है कि लावारिस पशुओं को पकड़कर गोसदन तक पहुंचाएं ताकि उनकी फसलों को नुकसान से बचाया जा सके तथा इन पशुओं को भी सही ठिकाना मिल सके।
------------------
समिति ने पशुओं के चारे की पूरी व्यवस्था की है। पशुओं की देखभाल के लिए एक कामगार 7000 रुपये प्रतिमाह पर रखा है। अगर कोई पशु बीमार या घायल हो जाए तो उसके लिए डॉक्टर का भी इंत•ाम किया गया है। सरकारी मदद के साथ ही किसान भी बड़े पैमाने में सहयोग के लिए आगे रहते हैं। अब लावारिस पशुओं की समस्या खत्म होती दिख रही है।
द¨वदर कुमार, प्रधान, गोसदन कमेटी