कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से खेत बन रहे बंजर
खेती के जरिए रातोरात करोड़पति होने की चाहत में प्रवासी किसान खेतों को बंजर बनाने के रास्ते पर चल पड़े हैं।
अजय टबयाल, अम्ब :
खेती के जरिए रातोरात करोड़पति होने की चाहत में प्रवासी किसान खेतों को बंजर बनाने के रास्ते पर चल पड़े हैं। इनके द्वारा किए जा रहे अंधाधुंध कीटनाशकों के इस्तेमाल के चलते भूमि की उपजाऊ शक्ति कम होती जा रही है। फसलों की पैदावार में साल दर साल कमी आती जा रही है, अगर समय रहते किसानों ने अपनी इस नियति को नहीं बदला तो वह दिन दूर नहीं जब जिला के खेत फसलें तो दूर घास उगाने के काबिल भी नहीं रह जाएंगे। दरअसल जिला में ज्यादातर किसान खुद खेती करने के बजाय अपने खेतों को प्रवासी किसानों को पट्टे पर दे रहे हैं। ये लोग ज्यादा और जल्दी फसल पाने की चाहत में खाद के साथ-साथ हर तरह के कीटनाशकों का छिड़काव कर रहे हैं, जिनके प्रभाव से जमीन में फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीड़ों के साथ-साथ मित्र कीड़े (जो भूमि को उपजाऊ बनाने में मदद करते हैं) भी कम होते जा रहे हैं। मित्र कीड़ों के कम होने के चलते जमीन की उपजाऊ शक्ति भी क्षीण होती जा रही है। इतना ही नहीं कुछ किसान तो अपनी फसलों पर प्रतिबंधित दवाओं का छिड़काव करने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं जिसके चलते लोगों में चर्म रोग और कैंसर जैसी भयंकर बीमारियां घर बनाती जा रही हैं। हालांकि कृषि विभाग द्वारा मिट्टी चेक करने के बाद किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराए जा रहे हैं जिसमें किसानों को खाद के इस्तेमाल की पूरी जानकारी दी जाती है। इसके अलावा आर्गेनिक और जीरो वैल्यू खेती तकनीक से अवगत कराने के लिए कई तरह के शिविर व मुफ्त ट्रे¨नग कैंपों का भी आयोजन करने के साथ कई तरह की सबसिडी स्कीमें भी चलाई जा रही हैं बावजूद इसके किसानों पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है।
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स्वास्थ्य के लिए खतरनाक
कृषि विशेषज्ञों की मानें तो सब्जी को मार्केट में लाने से सात दिन पहले ही किसी भी तरह की दवआों का छिड़काव बंद कर देना चाहिए, ताकि उन दवाओं का असर जमीन की उत्पादकता और खाने वालों के सेहत पर न पड़े । धरातल पर स्थिति इससे विपरीत है। सब्जियों का उत्पादन करने वाले किसान सब्जियों को मंडी लाने से पहले वाली रात तक भी उन पर कीटनाशकों का छिड़काव कर देते हैं। जिसके चलते ये सब्जियां सेहत के लिए अमृत बनने के जगह जहर बनती जा रही हैं। इतना ही नहीं कुछ लोग तो ऐसी दवाओं का भी छिड़काव कर रहे हैं, जिनके चलते सब्जियां रातोरात ओवरसाइज हो जाती हैं इन दवाओं के प्रभाव के चलते ही जमीन के साथ साथ इनको खाने वाले लोग भी तरह-तरह रोगों के शिकार होते जा रहे हैं।
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किसानों को आर्गेनिक खेती की तरफ प्रेरित करने के लिए विभाग की ओर से कई तरह की स्कीम चलाई जा रही है, जिसमें किसानों को कीटनाशकों के दुष्प्रभाव के बारे में भी बताया जा रहा है लेकिन किसान विभाग की बातों को नजरअंदाज करते हुए इन चीजों का इस्तेमाल कर रहे हैं। जमीन में माइक्रोफ्लोरा कम हो रहे हैं और जमीन की उपजाऊ शक्ति कम होती जा रही है। विभाग द्वारा जिला में बीज और दवा विक्रेताओं की दुकानें को समय-समय पर चेक किया जाता है और उनके सैंपल टे¨स्टग के लिए भेजे जा रहे हैं।
सुरेश कपूर, डिप्टी डायरेक्टर कृषि विभाग ऊना