Nizamuddin Corona cases: एक झूठ ने खतरे में डाल दी 50 लोगों की जिंदगी, लोगों में नाराजगी
Nizamuddin Corona cases तब्लीगी जमात से लौटे लोगों के कारण 13 लोग इस वायरस के खतरे में आ गये हैं जिससे नकड़ोह के लोगों में नाराजगी है।
ऊना, राजेश शर्मा। दिल्ली निजामुद्दीन में तब्लीगी जमात के मरकज से लौटे लोगों का झूठ स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ पुलिस कर्मचारियों पर भारी पड़ गया है। करीब 13 लोग इन लोगों के कारण वायरस के खतरे में आ गए हैं। फिलहाल इन लोगों को तो होम क्वारंटाइन कर दिया है लेकिन जमात के इस रवैये से लोगों में नाराजगी है। जमात के लोग करीब 13 दिन पहले नकड़ोह पहुंचे थे और वहां आस-पास के कई लोगों से मिले थे। इतना ही नहीं इन लोगों में से कुछ तो जिले के अन्य स्थानों पर मस्जिद तक भी पहुंचे थे। इस बीच उनका कई लोगों से संपर्क भी हुआ था।
दिल्ली निजामुद्दीन मरकज में हादसे को लेकर पूरी जानकारी लगने के बाद भी इन लोगों ने पुलिस व स्वास्थ्य महकमे से जानकारी छिपाई। जानबूझकर उन्होंने दूसरे लोगों को सीधे खतरे के मुंह में धकेल दिया है जबकि उनके परिवारों की संख्या को भी जोड़ लिया जाए तो आंकड़ा 50 तक जा पहुंचता है। बता दें कि इस जमात को लेकर हिस्ट्री प्राप्त करने के लिए बीएमओ गगरेट के अलावा सहायक स्टाफ भी गया था। तीनों पॉजीटिव लोगों के अलावा अन्य जमातियों के साथ उनका संपर्क हुआ था। काफी देर
तक उनके साथ रही इस टीम और उनके चेकअप के लिए जाने वाले पैरामेडिकल स्टाफ पर भी मुसीबत आ चुकी है। इस टीम को दी गई हिस्ट्री में गलत जानकारी दी गई। जांच करने गए लोग इस विश्वास में लौट गए और अपने स्वजनों के साथ भी रहे। ऐसे में जब सच्चाई का पता चला तो फिर हुई जांच में इन जमातियों में से ही तीन लोग कोरोना पॉजीटिव पाए गए।
इस बीच सच्चाई छिपाने को लेकर नोटिस देने पहुंचे पुलिस के कर्मचारी भी इन लोगों की चपेट में आने से नहीं बचे हैं। इन लोगों को भी उस मस्जिद के हिस्से तक पहुंचना पड़ा था। यह भी जानकारी मिली है कि ये लोग जिले के कई स्थानों पर खुलेआम भी घूमते रहे हैं।
सैंपल लेने वाली टीम को नहीं कोई खतरा
इस बीच स्वास्थ्य विभाग के विशेषज्ञों की मानें तो जिस टीम ने नकड़ोह की मस्जिद में ठहरे हुए जमातियों के सैंपल लिए थे उन्हें संक्रमण का कोई खतरा नहीं है। जब यह टीम उन लोगों के सैंपल लेने पहुंची थी उसे इन लोगों में कोरोना के संभावित लक्षण होने की बात पता चल गई थी। उन्होंने पूरी सावधानी और विशेष ड्रेस का इस्तेमाल किया था। ऐसे में उन्हें न तो कोई लक्षण हैं और न ही उन्हें क्वारंटाइन करने की जरूरत है। जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. निखिल शर्मा ने बताया कि जमातियों की लापरवाही के कारण विभाग के कई कर्मचारी इस खतरे में हैं। जानकारी न छिपाई जाती तो इन कर्मचारियों व उनके परिवारों को इस समस्या से नहीं गुजरना पड़ता।
27 फरवरी
मंडी से सात लोगों की जमात दिल्ली के लिए रवाना हुई।
28 फरवरी
निजी वाहन से यह जमात दिल्ली में पहुंची।
9 मार्च तक
जमात मरकज में शामिल हुई। इस दौरान जमात के कुछ सदस्य संक्रमित लोगों के संपर्क में आए।
21 मार्च
यह जमात ऊना के गांव नकड़ोह में मस्जिद में पहुंची।
23 मार्च
जमात के सदस्य समीपवर्ती गांव में पहुंचे थे।
25 मार्च
जमात के कुछ सदस्य एटीएम इस्तेमाल करने पहुंचे, और बालों की कटिंग भी करवाई।
26 मार्च
लॉक डाउन होने के कारण सभी मस्जिद में ही रहे।
27 मार्च
एक सदस्य की मामूली तबीयत खराब थी। इसी रोज पुलिस के तीन कर्मचारी नकड़ोह में नोटिस लेकर पहुंचे।
28 मार्च
बीएमओ गगरेट के नेतृत्व में पांच लोगों की टीम जमात के लोगों से
पूछताछ के लिए पहुंची। इस दौरान चायपान भी हुआ।
29 मार्च
गगरेट अस्पताल के चिकित्सक व पैरामेडिकल स्टाफ समेत पांच सदस्य जमात के लोगों से मिले थे।
30 मार्च
चिकित्सक स्वजनों से भी मिले और अन्य कर्मचारी भी स्वजनों से मिले। करीब पचास लोगों से इन लोगों की मुलाकात हुई।
31 मार्च
नकड़ोह मस्जिद के जमात के तीन लोगों को कोरोना की तरह लक्षण महसूस हुए।
1 अप्रैल
विशेषज्ञ चिकित्सकों की एक टीम नकड़ोह में इन लोगों के सैंपल लेने पहुंची।
2 अप्रैल
तीन जमात के सदस्य कोरोना पॉजीटिव घोषित हुए। रात को ही उन्हें टांडा भेज दिया गया।
3 अप्रैल
स्वास्थ्य विभाग की ओर से तीन पुलिस कर्मी व चार मेडिकल स्टाफ को होम क्वारंटाइन में भेजा।