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Nizamuddin Corona Cases: दिल्ली निजामुद्दीन तब्लीगी मरकज से लौटे आठ जमातियों के खिलाफ मामला दर्ज

Nizamuddin Corona case दिल्ली निजामुद्दीन तब्लीगी जमात से लौटकर ऊना की मस्जिद में 12 दिनों रहने वाले आठ जमातियों के खिलाफ लापरवाही का मामला दर्ज किया गया है।

By Babita kashyapEdited By: Published: Fri, 03 Apr 2020 07:11 AM (IST)Updated: Fri, 03 Apr 2020 07:11 AM (IST)
Nizamuddin Corona Cases: दिल्ली निजामुद्दीन तब्लीगी मरकज से लौटे आठ जमातियों के खिलाफ मामला दर्ज
Nizamuddin Corona Cases: दिल्ली निजामुद्दीन तब्लीगी मरकज से लौटे आठ जमातियों के खिलाफ मामला दर्ज

ऊना, जेएनएन। ऊना की मस्जिद में 12 दिनों तक रहे दिल्ली निजामुद्दीन तब्लीगी जमात की मरकज़ से लौटकर प्रदेश के घुमारवीं भी रहे आठों जमातियों के खिलाफ लापरवाही से अपने साथ लोगों के जीवन को संकट में डालने का मामला दर्ज। रात डेढ़ बजे हुई कार्रवाई। ग्राम पंचायत उप प्रधान की शिकायत पर मामला हुआ है दर्ज। इन चार धाराओं के तहत इन लोगों पर मामला दर्ज हुआ है। उप मंडल पुलिस अधिकारी मनोज जंबाल ने इसकी पुष्टि की है। इन जमातियों के संपर्क में आई दो महिलाएं और 7 पुरुषों को ऊना के खड्ड गांव में बने सामुदायिक भवन में क्वारंटाइन किया गया है। रात 2 बजे के बाद इनको अलग-अलग एम्बुलैंस में पहुंचाया गया।

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भारतीय दंड संहिता की धारा 269 

किसी बीमारी को फैलाने के लिए किया गया गैरजिम्मेदाराना काम। इससे किसी अन्य व्यक्ति की जान को खतरा हो सकता है। इस धारा के तहत अपराधी को छह महीने की जेल या जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है।

भारतीय दंड संहिता की धारा 270 

किसी जानलेवा बीमारी को फैलाने के लिए किया गया घातक या फिर नुकसानदायक काम। इस काम से किसी अन्य व्यक्ति की जान को खतरा हो सकता है। इस धारा के तहत नुकसानदेह शब्द ये दर्शाता है कि आरोपी ने जानबूझकर ये कदम उठाया है। दोनों ही धाराओं में सजा की अवधि लगभग समान है।

धारा 188 के बारे में 

इस दौरान धारा 188 भी चर्चा में है, देश में लॉकडाउन के दौरान इस धारा का भी इस्तेमाल किया गया है। इस धारा के तरत अगर किसी ने जिले के लोकसेवक जैसे आईएएस अफसर द्वारा लागू किसी विधान का उल्लंघन किया हो। सरकारी आदेश में बाधा डाली हो, या फिर उसका अवमानना की हो। ऐसी स्थिति में प्रशासन द्वारा आरोपी पर धारा 188 के तहत कार्रवाई हो सकती है। इस धारा के तहत आरोपी को एक महीने की जेल या फिर जुर्माना या फिर दोनों की सजा मिल सकती है।

उनपर आइपीसी की सेक्शन 271 भी लगाई गई है, जिसमें क्वारंटाइन नियमों की अवज्ञा करके दूसरे लोगों को संक्रमण युक्त रोग से जान को जोखिम में डालने का आरोप है।


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