तब हवा में अटक गई थीं दस लोगों की सांसें, आज भी सिहर जाते हैं लोग
अक्टूबर 1992 में तकनीकी कारणों से खराब हुई थी ट्रॉली सेना व वायु सेना के जवानों ने रेस्क्यू कर बचाई थी पर्यटकों की जान
सोलन, मनमोहन वशिष्ठ। जिंदगी के दौड़ भरे सफर में कुछ घटनाएं हमेशा यादों में बनी रहती है और उन्हें भूलना मुश्किल होता है। ऐसी ही घटना कसौली तहसील के परवाणू क्षेत्र में अक्टूबर, 1992 में हुई थी, जब दस लोगों की सांसें हवा में अटक गई थी। आज भी लोग उस समय को याद करते हैं तो सिहर उठते है।
यहां पर तीन दिन तक यहां पर दस लोगों की सांसें हवा में अटकी रही और एक व्यक्ति की मौत भी हुई थी। उस समय आर्मी व एयर फोर्स के जवानों ने सैकड़ों फुट की ऊंचाई फंसे लोगों की जान को बचाया था। इसमें फंसे पर्यटक दिल्ली व पंजाब के थे। टीटीआर रिसोर्ट परवाणू में लोगों का जमावड़ा लग गया था, लेकिन कोई भी कुछ नहीं कर पा रहे थे।
ट्रॉली अटेंडेंट की हुई थी मौत
11 अक्टूबर, 1992 को कालका शिमला नेशनल हाइवे पर स्थित परवाणू के समीप बने टिंबर ट्रेल रिजोर्ट में चलने वाली रोपवे ट्रॉली में पर्यटक बैठकर जा रहे थे तो सैकडों फुट की ऊंचाई पर ट्रॉली अचानक एक झटके के साथ रुक गई। अंदर बैठे लोगों समेत ही ट्रॉली तार पर पैंडूलम की हिचकोले खाने लगी। काफी समय के बाद भी ट्रॉली न आगे बढ़ी व ही पीछे हट पाई। अंदर बैठे पर्यटकों में भी इससे खलबली मच गई थी। ट्रॉली में अटेंडेंट समेत 12 लोग मौजूद थे, जिसमें एक छोटा बच्चा भी शामिल था। इसी दौरान ट्राली अटेंडेंट गुलाम हुसैन ने जान बचाने के लिए छलांग लगा दी थी जिस कारण उसकी मौके पर ही मौत हो गई थी। वहीं दरवाजा बंद होने से पहले ही एक व्यक्ति भी गिरने से घायल हो गया था।
कसौली में सेना को किया गया था रेस्क्यू के लिए संपर्क शाम छह बजे कसौली में सेना को इसकी जानकारी दी गई। वहां से वेस्ट्रन कमांड चंडीमंदिर से सेना को बुलाया गया। हेलीकॉप्टर से ट्राली तक पहुंचने के काफी प्रयास किए। घटना के एक दिन बाद भी यात्रियों को बाहर निकालने में सफलता नहीं मिली तो विशेष कमांडो दस्ते को बुलाया। 13 अक्टूबर को इस दस्ते के मेजर क्रैस्टो हेलीकॉप्टर के साथ ठीक ट्राली के ऊपर पहुंचे और रस्सी की सहायता से छत पर उतरे। एक-एक कर सभी को वहां से सुरक्षित बाहर निकाला गया। बचाव अभियान में शामिल तत्कालीन मेजर इवान जोसेफ क्रैस्टो, ग्रुप कैप्टन फली होमी, विंग कमांडर सुभाष चंद्र, फ्लाइट लेफ्टिनेंट पी उपाध्याय को सम्मानित भी किया गया था।
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