Move to Jagran APP

तब हवा में अटक गई थीं दस लोगों की सांसें, आज भी सिहर जाते हैं लोग

अक्टूबर 1992 में तकनीकी कारणों से खराब हुई थी ट्रॉली सेना व वायु सेना के जवानों ने रेस्क्यू कर बचाई थी पर्यटकों की जान

By Babita kashyapEdited By: Published: Wed, 16 Oct 2019 09:38 AM (IST)Updated: Wed, 16 Oct 2019 09:38 AM (IST)
तब हवा में अटक गई थीं दस लोगों की सांसें, आज भी सिहर जाते हैं लोग
तब हवा में अटक गई थीं दस लोगों की सांसें, आज भी सिहर जाते हैं लोग

सोलन, मनमोहन वशिष्ठ। जिंदगी के दौड़ भरे सफर में कुछ घटनाएं हमेशा यादों में बनी रहती है और उन्हें भूलना मुश्किल होता है। ऐसी ही घटना कसौली तहसील के परवाणू क्षेत्र में अक्टूबर, 1992 में हुई थी, जब दस लोगों की सांसें हवा में अटक गई थी। आज भी लोग उस समय को याद करते हैं तो सिहर उठते है।  

loksabha election banner

यहां पर तीन दिन तक यहां पर दस लोगों की सांसें हवा में अटकी रही और एक व्यक्ति की मौत भी हुई थी। उस समय आर्मी व एयर फोर्स के जवानों ने सैकड़ों फुट की ऊंचाई फंसे लोगों की जान को बचाया था। इसमें फंसे पर्यटक दिल्ली व पंजाब के थे। टीटीआर रिसोर्ट परवाणू में लोगों का जमावड़ा लग गया था, लेकिन कोई भी कुछ नहीं कर पा रहे थे।

ट्रॉली अटेंडेंट की हुई थी मौ

11 अक्टूबर, 1992 को कालका शिमला नेशनल हाइवे पर स्थित परवाणू के समीप बने टिंबर ट्रेल रिजोर्ट में चलने वाली रोपवे ट्रॉली में पर्यटक बैठकर जा रहे थे तो सैकडों फुट की ऊंचाई पर ट्रॉली अचानक एक झटके के साथ रुक गई। अंदर बैठे लोगों समेत ही ट्रॉली तार पर पैंडूलम की हिचकोले खाने लगी। काफी समय के बाद भी ट्रॉली न आगे बढ़ी व ही पीछे हट पाई। अंदर बैठे पर्यटकों में भी इससे खलबली मच गई थी। ट्रॉली में अटेंडेंट समेत 12 लोग मौजूद थे, जिसमें एक छोटा बच्चा भी शामिल था। इसी दौरान ट्राली अटेंडेंट गुलाम हुसैन ने जान बचाने के लिए छलांग लगा दी थी जिस कारण उसकी मौके पर ही मौत हो गई थी। वहीं दरवाजा बंद होने से पहले ही एक व्यक्ति भी गिरने से घायल हो गया था। 

कसौली में सेना को किया गया था रेस्क्यू के लिए संपर्क शाम छह बजे कसौली में सेना को इसकी जानकारी दी गई। वहां से वेस्ट्रन कमांड चंडीमंदिर से सेना को बुलाया गया। हेलीकॉप्टर से ट्राली तक पहुंचने के काफी प्रयास किए। घटना के एक दिन बाद भी यात्रियों को बाहर निकालने में सफलता नहीं मिली तो विशेष कमांडो दस्ते को बुलाया। 13 अक्टूबर को इस दस्ते के मेजर क्रैस्टो हेलीकॉप्टर के साथ ठीक ट्राली के ऊपर पहुंचे और रस्सी की सहायता से छत पर उतरे। एक-एक कर सभी को वहां से सुरक्षित बाहर निकाला गया। बचाव अभियान में शामिल तत्कालीन मेजर इवान जोसेफ क्रैस्टो, ग्रुप कैप्टन फली होमी, विंग कमांडर सुभाष चंद्र, फ्लाइट लेफ्टिनेंट पी उपाध्याय को सम्मानित भी किया गया था।

World Food Day 2019:छोटी उम्र में क्‍यों रहे हैं घातक रोग, एक नहीं अनेक हैं कारण

हिमाचल की अन्य खबरें पढऩे के लिए यहां क्लिक करें 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.