आक्सीजन प्लांट लगाए, कौन चलाए
सरकार ने जिले में करोड़ों रुपये खर्च करके आक्सीजन प्लांट तो लगा दिए हैं लेकिन तकनीशियन लगाना भूल गई है।
भूपेंद्र ठाकुर, सोलन
सरकार ने जिले में करोड़ों रुपये खर्च करके आक्सीजन प्लांट तो लगा दिए हैं, लेकिन इन्हें चलाने के लिए तकनीशियन की तैनाती करना भूल गई है। प्रत्येक प्लांट को संचालित करने के लिए चार तकनीशियन की जरूरत है। कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने के बाद भी सरकार द्वारा अभी तक तकनीशियन की तैनाती नहीं की गई है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार व स्वास्थ्य विभाग कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए कितना तैयार है।
स्वास्थ्य विभाग ने जिले में चार आक्सीजन प्लांट स्थापित किए हैं। सोलन व अर्की में एक-एक हजार लीटर प्रति मिनट की क्षमता वाले प्लांट हैं, जबकि परवाणू व नालागढ़ में 200-200 लीटर प्रति मिनट की क्षमता वाले आक्सीजन प्लांट स्थापित किए गए हैं। करीब दो माह पहले मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इन चारों आक्सीजन प्लांट का उद्घाटन किया था। हैरानी की बात है कि करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी ये आक्सीजन प्लांट नियमित रूप से संचालित नहीं हो रहे हैं।
क्षेत्रीय अस्पताल सोलन में 31 दिसंबर तक निजी कंपनी का कर्मचारी प्लांट संचालित कर रहा था। उक्त कर्मचारी ने प्लांट चलाने के लिए एक डाक्टर को प्रशिक्षण भी दिया है, लेकिन अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या मरीजों को छोड़कर डाक्टर आक्सीजन प्लांट संचालित करेगा। हालांकि उक्त डाक्टर द्वारा जरूरत पड़ने पर प्लांट को चलाया जाता है, लेकिन यह अस्थायी व्यवस्था है। क्षेत्रीय अस्पताल से चार तकनीशियन की मांग प्रदेश मुख्यालय को भेजी गई है।
ऐसे ही हालात अर्की में भी हैं। हालांकि नालागढ़ व परवाणू का आक्सीजन प्लांट तो अभी स्थापित ही नहीं हुआ है, लेकिन स्थापित होने के बाद इन प्लांट को कौन चलाएगा यह सवाल स्वास्थ्य विभाग के सामने है। जिला भर में चार आक्सीजन प्लांट को 24 घंटे संचालित करने के लिए 16 तकनीशियन की जरूरत है, लेकिन अभी तक एक भी तकनीशियन स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं है। फिलहाल पु़राने स्टाफ से ही काम चलाया जा रहा है। आक्सीजन प्लांट संचालित करने के लिए अभी तक कोई भी तकनीशियन नियुक्त नहीं किया गया है।
- डा. राजन उप्पल, सीएमओ सोलन।