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प्राचीन वाद्य यंत्रों को सहेजने की दरकार : डॉ. रामदत्त

प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए जिला भाषा एवं संस्कृति

By JagranEdited By: Published: Thu, 08 Mar 2018 07:02 PM (IST)Updated: Thu, 08 Mar 2018 07:02 PM (IST)
प्राचीन वाद्य यंत्रों को सहेजने की दरकार : डॉ. रामदत्त
प्राचीन वाद्य यंत्रों को सहेजने की दरकार : डॉ. रामदत्त

संवाद सहयोगी, सोलन : प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए जिला भाषा एवं संस्कृति विभाग सोलन ने संस्कृत कॉलेज में वाद्य वादन कार्यक्रम का आयोजन किया। इसमें सोलन जिला की सात टीमों ने भाग लिया। लोक कलाकारों ने पारंपरिक वाद्य यंत्रों पर नौबत, बधाई, झाड़ा, जंग ताल समेत 12 व 16 मात्राएं बजाकर सभागार में मौजूद लोगों को अपनी विरासत से रू-ब-रू करवाया। इस मौके पर संस्कृत कॉलेज सोलन के प्रिंसीपल डॉ. राम दत्त शर्मा ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। इस मौके उन्होंने कहा कि वाद्य यंत्रों का इतिहास मानव संस्कृति के साथ शुरू हुआ है। लोक कलाकारों को प्रोत्साहन देकर ही हम विलुप्त हो रही संस्कृति का संरक्षण कर सकते हैं। साज हमारे मन, आत्मा और वेद से जुड़े हैं। जिला भाषा अधिकारी सोलन कुसुम संघाइक ने मुख्य अतिथि व अन्य लोगों का स्वागत किया और कार्यक्रम के बारे में प्रकाश डाला। इस अवसर पर संस्कृत कॉलेज के पूर्व प्राचार्य व साहित्यकार डॉ. प्रेमलाल गौतम ने कहा कि पारंपरिक वाद्य यंत्र की धुन दिल व दिमाग को ऊर्जा देती है। शोध में पाया गया है कि हमारा पारंपरिक संगीत चिंता और रोग को भी दूर भगाता है।

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इन दलों ने दी प्रस्तुति

इस मौके पर औच्छघाट से आए रामलाल एंड पार्टी ने जंग ताल और 16 मात्रा की करियाला पर अपनी प्रस्तुति देकर लोगों की तालिया बटोरी। चायल की विजय एंड पार्टी, ममलीग की प्रेमचंद एंड पार्टी और चायल की ही संदीप एंड पार्टी ने नौबत, देव परंपरा झाड़ा, विदाई और जंग ताल बजाकर कार्यक्रम में जान डाल दी। इसके अलावा नंद लाल एंड पार्टी सोलन का पारंपरिक पड़ूंआ (गिद्दा) व नाटी म्हारे नी मानणा बुरा पेश की। शिव शक्ति दल तकरेड़ा ने पारंपरिक धुनें सुनाई, जबकि हिमानी कला मंच के लोक कलाकारों ने बधाई, जंग ताल, खड़ी नाटी सहित 12 व 16 मात्राएं बजाकर तालिया बटोरी।


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