स्वदेशी राखी से सजेगी कोरोना योद्धाओं की कलाई
रक्षाबंधन पर्व पर इस बार स्वदेशी राखी की मांग बढ़ी है।
विनोद कुमार, सोलन
रक्षाबंधन पर्व पर इस बार स्वदेशी राखी की मांग बढ़ी है। चीन के साथ तनातनी के बाद लोग स्वदेशी राखी की मांग कर रहे हैं। ऐसे में रक्षाबंधन का पर्व मनाने के लिए भी महिलाएं स्वदेशी राखी बनाने में जुटी हुई हैं। रक्षाबंधन के लिए राखी बनाने के लिए भाजपा महिला मोर्चा सोलन आगे आया है। जिले भर की करीब पांच सौ कार्यकर्ताओं ने मौली, सरसों व व्यर्थ पड़े सामान से राखी बनाई हैं। सोलन में स्वयं सहायता समूह ने चीड़ से निर्मित राखियों का स्टाल लगाया हुआ है, जिसकी मांग भी काफी है।
भाजपा महिला मोर्चा सोलन की महिलाओं की पहल के बाद अन्य महिलाएं भी राखी बनाने में जुटी हैं। महिला मोर्चा द्वारा बनाई गई यह राखियां रक्षाबंधन पर कोरोना योद्धाओं को बांधी जाएंगी। एक राखी को बनाने में करीब 15 से 20 मिनट का समय लगता है। महिलाओं द्वारा यह पहल आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार बनाने व चीनी सामान के बहिष्कार करने को लेकर की है। व्यापार मंडल पहले चीनी राखी का कर चुके हैं बहिष्कार
वहीं, जिले में कई स्वयं सहायता समूहों द्वारा चीड़ की पत्तियों, कुशा व मौली आदि के प्रयोग से स्वदेशी राखियां बनाई गई हैं। जिले के सभी व्यापार मंडलों ने पहले से ही चीन में निर्मित राखी का बहिष्कार कर दिया था व व्यापारियों ने भी इस राखी के पर्व के लिए दिल्ली, अंबाला व कोलकाता में निर्मित राखियां ही मंगवाई हैं। आत्मनिर्भर बनने के लिए उठाया कदम
भाजपा महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष शकुंतला शर्मा ने बताया कि घर पर ही सभी कार्यकर्ताओं ने राखी को तैयार किया है। कई क्षेत्रों में यह राखियां आंगनबाड़ी कार्यकताओं व सफाई कर्मचारियों को बांट दी गई हैं। कोरोना योद्धाओं को भी राखियां बांटी जाएंगी। भाजपा के नवनियुक्त प्रदेशाध्यक्ष सुरेश कश्यप को भी पिछले दिनों अध्यक्ष बनने के पहली बार सोलन पहुंचने पर स्वदेशी राखी भेंट की गई। उनके साथ मंत्री सुखराम चौधरी का भी स्वदेशी राखी के साथ स्वागत किया गया। इसके अलावा दून मंडल अध्यक्ष ममता भारद्वाज द्वारा शनिवार को दून के विधायक परमजीत पम्मी को भी स्वदेशी राखी भेंट की गई। सोलन में 10 से 15 रुपये में बिक रही चीड़ की पत्तियों से निर्मित राखी
सोलन के ओल्ड डीसी ऑफिस के पास इन दिनों स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा स्वदेशी राखियों के स्टाल लगाए गए हैं। इन स्टालों पर चीड़ व कुशा से निर्मित राखियां 10 से 15 रुपये में बेची जा रही हैं।