राजस्व करोड़ों, सुविधा छोड़ो
प्रदेश में सबसे अधिक राजस्व देने वाले बद्दी के पास अभी तक अपना कोई बस स्टैंड नहीं है। वर्ष 200
ओमपाल सिंह, नालागढ़
प्रदेश में सबसे अधिक राजस्व देने वाले बद्दी के पास अभी तक अपना कोई बस अड्डा नहीं है। 2008 में बीबीएनडीए के सीईओ ने 30 लाख रुपये की लागत से स्लीप रोड बनाया था और आज तक इसी स्लीप रोड पर बसें खड़ी होती हैं। प्रतिकूल मौसम के दौरान भी यात्रियों को खुले आसमान के नीचे खड़ा होना पड़ता है। इस दौरान कई सरकारें आई और गई, लेकिन किसी भी सरकार ने यहां पर बस अड्डा बनाने की हिम्मत नहीं उठाई। चुनाव के दौरान राजनेता मतदाताओं को बड़े-बड़े वादे देते हैं, लेकिन चुनाव समाप्त होते ही सभी वायदे गौण हो जाते हैं।
बद्दी से 1102 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष राजस्व जाता है। इतना राजस्व देने वाले बद्दी का अपना कोई अड्डा नहीं है। 2003 में यहां पर औद्योगिक पैकेज आया और उसके बाद यहां की जनसंख्या पांच लाख हो गई। यहां पर एक सौ से अधिक निजी व निगम की बसों की आवाजही होती है, लेकिन अड्डा न होने से बस संचालकों को खुले आसमान के नीचे बसें खड़ी करनी पड़ती हैं वहीं यात्रियों को धूप व बारिश के दौरान भी बस के इंतजार में खड़ा रहना पड़ता है। 2008 में बीबीएनडीए की तत्कालीन सीईओ मीरा मोहंती ने यहां पर स्लीप रोड बनाया था, जिस पर 30 लाख रुपये खर्च आया था। इस स्लीप रोड के बनने के बाद लोगों की अड्डा बनने की उम्मीद जगी थी, लेकिन आज तक यहां पर अड्डा नसीब नहीं हुआ है। पिछली सरकार ने यहां पर अड्डा बनाने का प्रयास शुरू किए थे, लेकिन कुछ लोगों ने इस पर आपत्ति जताई और मामला कोर्ट में होने से काम रूक गया है।
-रविंद्र कुंडलस, बद्दी। -------------
सरकारें चुनाव के दौरान बड़े-बड़े दावे करती हैं, लेकिन चुनाव समाप्त होने पर कोई सुध नहीं लेता है। इससे लोगों ने सरकार के खिलाफ रोष है।
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बारिश में लोग मौसम खराब होने पर बद्दी बस अड्डे पर छाता लेकर खड़े रहते हैं। गर्मी के दौरान लोग पेड़ के नीचे दुबके रहते हैं, लेकिन अभी तक सरकार ने यहां पर अड्डे का निर्माण नहीं हो पाया है।
सकदीप सिंह, शीतलपुर।
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बीबीएन से सबसे ज्यादा राजस्व सरकार को जाता है, लेकिन सरकार ने यहां पर कोई भी सुविधा मुहैया नहीं करवा रही है। इससे खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है।
राज कुमार, बघेरी।
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बद्दी में बस अड्डा निर्माण के लिए जमीन का चयन हो गया है, लेकिन कोर्ट का मामला होने से काम अधर में लटक गया है। इससे अभी कोई काम इस पर शुरू नहीं हो पा रहा है।
-जोगिद्र सिंह चौधरी, आरएम।