डेढघराट में डंपिग साइट बनी खतरा, पेयजल स्रोत हुआ बंद
परवाणू से सोलन तक चल रहा फोरलेन कार्य स्थानीय लोगों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है। अब डेढघराट में डंपिंग साइट से पेयजल स्रोत ही बंद हो गया है।
जागरण संवाददाता, सोलन : परवाणू से सोलन तक चल रहा फोरलेन कार्य स्थानीय लोगों के लिए मुसीबत बन गया है। डेढघाराट के समीप निजी कंपनी द्वारा मलबे के लिए बनाई गई डंपिग साइट का मलबा न केवल ग्रामीणों के लिए खतरा बनता जा रहा है, वहीं साथ लगती अश्वनी नदी में भी मलबा एकत्रित होने लगा है। यदि मलबा इसी प्रकार फैलता रहा तो अश्वनी खड्ड पेयजल योजना का पानी भी दूषित हो सकता है।
वन विभाग द्वारा निजी कंपनी को मलबा फेंकने के लिए डेढघराट के समीप जगह दी गई है। निजी कंपनी ने प्रोटेक्शन वाल लगाए बगैर ही यहां पर मलबा फेंकना शुरू कर दिया है। कई माह से यहां पर मलबा फेंका जा रहा है। डपिग साइट के साथ जोखड़ी गांव है। इस गांव में मलबे की वजह से प्राकृतिक जल स्रोत बंद हो चुका है। गर्मियों के दिनों में ग्रामीण यहां से पीने का पानी ले जाते हैं। जोखड़ी गांव में लगातार मलबे का रिसाव जारी है। बरसात के दिनों में तो बीपीएल परिवार अमर सिंह को अपनी फसलों व जान की चिता सताने लगती है। अश्वनी खड्ड पेयजल योजना से सोलन शहर व आसपास के करीब एक लाख लोगों को पीने का पानी सप्लाई किया जाता है। हैरानी की बात है कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण इस मामले पर चुप्पी साधे हुए है।
शुक्रवार को मौके का निरीक्षण करने के लिए जिला परिषद सदस्य सलोगड़ा वार्ड मनोज वर्मा व बसाल पंचायत के उपप्रधान किरन किशोर तथा वन विभाग के अधिकारी गए थे। हैरानी की बात है कि बार-बार बुलाए जाने के बावजूद एनएचएआइ के अधिकारी मौका देखने तक नहीं आए। इस सबकी वजह से ग्रामीणों में फोरलेन का निर्माण कर रही आरिफ इंजीनियर कंपनी व एनएचएआइ के खिलाफ रोष है।
जिला परिषद सदस्य मनोज का कहना है कि डेढघराट में डंपिग साइट की वजह से निजी व सरकारी संपत्ति को नुकसान हो रहा है तथा इस मामले की शिकायत वन विभाग से की गई है। इस मामले में एनएचएआइ जल्द संज्ञान ले।
आरिफ इंजीनियर कंपनी के प्रशासनिक अधिकारी डीके सिह का कहना है कि जल्द डंपिग साइट पर प्रोटेक्शन वाल लगाई जा रही है। वहीं वन विभाग के डीएफओ श्रेष्ठानंद का कहना है कि मौके पर अधिकारियों व कर्मचारियों को भेजा गया है। नुकसान का जायजा लेने के बाद कंपनी पर जुर्माना लगाया जाएगा।