Move to Jagran APP

दर्जा ही बढ़ा, सुविधाएं नहीं

तीन लाख की आबादी को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने वाली बद्दी सीएचसी का दर्जा तो सरकार ने बढ़ा दिया है लेकिन दो दशक बीत जाने के बाद भी स्वास्थ्य उपकेंद्र की बिल्डिंग में ही चिकित्सालय चल रहा है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 02 May 2019 03:17 PM (IST)Updated: Sat, 04 May 2019 06:30 AM (IST)
दर्जा ही बढ़ा, सुविधाएं नहीं
दर्जा ही बढ़ा, सुविधाएं नहीं

ओमपाल सिह, बद्दी

loksabha election banner

तीन लाख की आबादी को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया करवाने वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) बद्दी का दर्जा तो सरकार ने बढ़ा दिया है, लेकिन दो दशक बाद भी उपस्वास्थ्य केंद्र के भवन में ही ये चल रहा है। इस दौरान कई सरकारें आई और गई, लेकिन किसी ने भी भवन बनाने की ओर ध्यान नहीं दिया। इस दौरान हुआ तो बस पट्टिकाएं ही लगाई गई। वर्ष 2017 में कांग्रेस ने सीएचसी को नागरिक अस्पताल का दर्जा दे दिया था, लेकिन चुनाव आचार संहिता लगने के चलते इसकी शिलान्यास पट्टिका नहीं लग पाई। सीएचसी में रोजाना करीब तीन सौ लोग उपचार करवाने पहुंचते हैं। ऐसे में पुराना भवन छोटा पड़ रहा है। हरियाणा की सीमा से सटा होने पर यहां हरियाणा से भी लोग इलाज के लिए पहुंचते हैं। सीएचसी में थोड़ा बहुत भवन का विस्तार आरकेएस के तहत हुआ है।

वर्ष 2010 में भाजपा सरकार ने स्वास्थ्य उपकेंद्र का दर्जा बढ़ाकर पीएचसी कर दिया था और इसके लिए एक करोड़ 33 लाख रुपये भी स्वीकृत किए थे। यह पैसा वर्तमान में लोक निर्माण विभाग के पास है, लेकिन सरकार बदलने के बाद काम शुरू नहीं हो गया। इसके बाद कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2014 में इसका दर्जा बढ़ाकर सीएचसी कर 24 घंटे सेवाएं शुरू कर दीं, लेकिन भवन फिर भी नहीं बनाया। दोनों बार स्तरोन्नत होने पर शिलान्यास पट्टिकाएं लग चुकी हैं, पर भवन बनने का नाम नहीं ले रहा है।

पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव से पहले सीएचसी को अपग्रेड करके उसे नागरिक अस्पताल का दर्जा तो दे दिया, लेकिन अभी भी स्वास्थ्य उपकेंद्र के भवन से काम चलाया जा रहा है। इस भवन निर्माण के लिए दो बार शिलान्यास पट्टिकाएं तो लग गई हैं, लेकिन अभी तक न तो जमीन विभाग के नाम और न ही भवन का कार्य शुरू हो पाया है। यहां पर दो मरीजों से अधिक के लिए बेड की सुविधा नहीं है। यहां पर भवन के अभाव में अभी तक अल्ट्रासाउंट, एक्सरे व सीटी स्कैन की कोई सुविधा नहीं है। रोगियों को निजी चिकित्सालयों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।

बद्दी के वार्ड दो निवासी दीपू पंडित ने बताया कि सरकार को सबसे अधिक राजस्व देने वाले बद्दी की सभी सरकारों ने अनदेखी की है। यहां पर स्वास्थ्य के नाम पर लोगों के साथ खिलवाड़ हो रहा है। इंजेक्शन लगाने के लिए लोगों की लंबी कतारें लग रही हैं। मान सिंह मेहता ने बताया कि आपातकालीन मरीजों को बेड की सुविधा न मिलने पर बैठकर ही ड्रिप लगाई जा रही है। सचिन कुमार ने बताया कि कमरे इतने छोटे हैं कि वहां पर उपचार करने में चिकित्सकों व नर्सो को भी परेशानी हो रही है।

स्वास्थ्य विभाग के बीएमओ डॉ. आरके जस्सल ने बताया कि तीन बीघा आठ बिश्वा जमीन विभाग के नाम हो चुकी है। बिल्डिंग के लिए दस करोड़ 64 लाख रुपये का एस्टीमेट तैयार करके सरकार को भेजा गया है। आचार संहिता के बाद इसके टेंडर हो जाएंगे। इस संबंध में उच्च अधिकारियों को भी सूचित किया गया है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.