मेडिकल कॉलेज में जंग पी गया ऑक्सीजन
प्रदेश सरकार की पिछड़े जिला सिरमौर में बेहतर सुविधा के दावे खोखले साबित हो रहे है। सरकार ने नाहन में मेडिकल कॉलेज तो खोल दिया। मगर कॉलेज जहां एक ओर चिकित्सकों की कमी से जूझ रहा है। वही पिछले तीन वर्षों मेडिकल कॉलेज में लगा एमजीएमएस प्लांट रोगियों के लिए सफेद हाथी साबित हो रहा है। डॉ. वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज नाहन में कॉलेज प्रबंधन ने मेडिकल गैस मैनीफोल्ड सिस्टम प्लांट तो लगा दिया। मगर इस गैस प्लांट को चलाने के लिए प्रदेश में कोई भी तकनी
सचित्र.....
जागरण संवाददाता, नाहन : पिछड़े जिला सिरमौर में सरकार की बेहतर सुविधाएं के दावे खोखले साबित हो रहे है। सरकार ने नाहन में मेडिकल कॉलेज तो खोल दिया है लकिन चिकित्सकों की कमी को दूर नहीं किया है। पिछले तीन वर्ष मेडिकल कॉलेज में लगा मेडिकल गैस मैनीफोल्ड सिस्टम प्लांट (एमजीएमएस) रोगियों के लिए सफेद हाथी साबित हो रहा है। डॉ. वाइएस परमार मेडिकल कॉलेज नाहन में प्रबंधन ने मेडिकल गैस मैनीफोल्ड सिस्टम प्लांट तो लगा दिया मगर इसको चलाने के लिए प्रदेश में कोई भी तकनीकी कर्मचारी नहीं है। इस कारण तीन वर्ष पूर्व लगाया गया यह 3.50 करोड़ रुपये का गैस प्लांट जंग खा रहा है।
मेडिकल गैस मैनीफोल्ड सिस्टम प्लांट में छह तरह की ऑक्सीजन गैस सप्लाई होकर रोगियों तक पहुंचाई जाती है। इस गैस सिस्टम को चलाने के लिए एक शिफ्ट में छह से सात लोग चाहिए होते हैं। यदि इस गैस प्लांट को 24 घंटे चलाना हो तो कम से कम 21 व्यक्ति इस गैस प्लांट को चलाने के लिए चाहिए। मेडिकल गैस मैनीफोल्ड सिस्टम में एयर व वैक्यूम सिस्टम के तहत मुख्य प्लांट से प्रत्येक वार्डों में ऑक्सीजन की सप्लाई होती है ताकि आपातकालीन स्थिति में रोगी को ऑक्सीजन गैस उपलब्ध आसानी से हो सके। फिलहाल रोगियों को ऑक्सीजन की सप्लाई गैस सिलेंडर के माध्यम से की जा रही है।
नाहन मेडिकल कॉलेज में प्रतिमाह 30 से 50 गैस सिलेंडर प्रयोग होते हैं। कई बार यह संख्या बढ़ भी जाती है। नाहन मेडिकल कॉलेज में एमजीएमएस गैस प्लांट को चलाने के लिए व तकनीकी कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए स्वास्थ्य विभाग व मुख्यमंत्री कार्यालय को फाइल भेजी है, जो कि पिछले तीन वर्षों से सचिवालय की फाइलों में धूल फांक रही है। उधर,नाहन मेडिकल कॉलेज के प्रशासनिक अधिकारी डॉ. एसएस बावा ने बताया कि एमजीएमएस ऑक्सीजन गैस प्लांट को चलाने के लिए एक शिफ्ट में छह अपॉरेटर चाहिए होते हैं। हिमाचल सरकार इस तरह का कोई भी कोर्स नहीं करवाती है। इन ऑपरेटर्स की नियुक्ति के लिए स्वास्थ्य विभाग व प्रदेश सरकार को फाइल भेजी गई है। तकनीकी ऑपरेटरों की नियुक्ति की स्वीकृति मिलने के बाद इस ऑक्सीजन प्लांट को चला दिया जाएगा।