शेर मोहम्मद को सलाम, रमजान में जनसेवा ही ईमान
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जागरण संवाददाता, नाहन : एक सच्चा मुसलमान वही होता है जो जनसेवा को अपना ईमान समझता है। ऐसे ही पांवटा साहिब के शेर मोहम्मद हैं जो कोरोना काल में हिंदुओं के शवों को अंतिम धाम तक पहुंचाने के लिए रमजान होते हुए भी फर्ज से पीछे नहीं हट रहे हैं। अब तक शेर मोहम्मद सैकड़ों हिंदुओं के शवों को अंतिम धाम तक पहुंचा चुके हैं। कोरोना संकट में जहां लोग अपनों के शवों को छूने से भी परहेज कर रहे हैं, वहीं शेर मोहम्मद संक्रमितों के शवों को खुद अंतिम धाम पहुंचा रहे हैं।
सिविल अस्पताल पांवटा साहिब में सर्व समाज सेवा समिति की ओर से संचालित शव वाहन में शेर मोहम्मद बतौर चालक करीब आठ से तैनात है। आजकल शेर मोहम्मद कोरोना संक्रमितों के शवों को अंतिम धाम तक पहुंचा कर जनसेवा में जुटे हुए हैं।
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शेर मोहम्मद की सेवाएं अतुल्नीय
सर्व समाजसेवा समिति के अध्यक्ष अमरजीत सिंह ने बताया कि संस्था कई वर्षों से शवों को अंतिम संस्कार के लिए अंतिम धाम तक पहुंचा रही है। इस कार्य में शेर मोहम्मद की सेवाएं अतुल्नीय हैं।
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मौतों पर दुख, पर कर्म समझ कर रहा हूं काम
शेर मोहम्मद का कहना है कि कई बार दिन में चार और पांच लोग दम तोड़ रहे हैं। ऐसे में वह दुखी तो हैं, लेकिन इस काम को कर्म समझकर कर रहे हैं। वह कोरोना संकट में भी एक साल से लगातार कोरोना संक्रमितों व अन्य के शवों को शव वाहन में अंतिम गंतव्य तक पहुंचा रहे हैं।
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मुस्लिम समुदाय को मोहम्मद पर नाज
पांवटा साहिब के समाजसेवी शाहबाज खान का कहना है कि देश में जहां लोग जाति-धर्म के नाम पर लड़ कर रहे हैं वहीं वहीं शेर मोहम्मद जैसे लोग भी हैं, जो जनसेवा को ही अपना धर्म समझ रहे हैं। मुस्लिम समुदाय को शेर मोहम्मद पर नाज हैं।