लुप्त हो रहे जंगली जानवर व जड़ी-बूटियां बचाएंगे युवा
देवभूमि से लुप्त हो रहे जंगली जानवरों तितलियों और बेशकिमती जड़ी बूटियों को युवा स्थानीय लोगों के साथ मिलकर बचाएंगे। पयर्वारण सरंक्षण के लिए केंद्र सरकार ने इस दिशा में 12.50 लाख रुपये की लागत के पैराटैक्सोनौमी कोर्स को मंजूरी प्रदान कर दी है।
राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचल से लुप्त हो रहे जंगली जानवरों, तितलियों और बेशकीमती जड़ी-बूटियों को युवा स्थानीय लोगों के साथ मिलकर बचाएंगे। केंद्र सरकार ने इस दिशा में 12.50 लाख रुपये के पैराटेक्सोनोमी कोर्स को मंजूरी प्रदान कर दी है। हिमाचल प्रदेश से जीव विज्ञान में स्नातक डिग्रीधारक 20 युवाओं का चयन इस कोर्स के लिए किया जाएगा।
दो माह के कोर्स के दौरान प्रति छात्र 65 हजार रुपये खर्च किए जाएंगे। इनके लिए गाड़ी की सुविधा के साथ ठहरने व खाने का पूरा खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। ये युवा पंचायतों में लोगों को प्रशिक्षित कर उन्हें उनके क्षेत्र में होने वाली जड़ी-बूटियों की जानकारी देंगे। इन जड़ी-बूटियों को वैज्ञानिक तरीके से उगाकर व बेचकर पंचायतों का भी राजस्व बढ़ेगा। हिमाचल में निजी कंपनियों द्वारा जड़ी-बूटियों को अवैज्ञानिक तरीके से निकालने पर रोक लगाने और पंचायत प्रतिनिधियों की इच्छा से वैज्ञानिक तरीके से जड़ी-बूटियों को निकाला जा सके, इसके लिए प्रशिक्षण के बाद युवा कार्य करेंगे।
जड़ी-बूटियों और जंगली जानवरों के साथ पक्षियों आदि का डाटा तैयार किया जाएगा। इस डाटा को पंचायतों को भी उपलब्ध कररवाया जाएगा। इसके लिए स्थानीय स्तर पर जैव विविधता कमेटियों का गठन होगा। जैव विविधता की भी जानकारी दी जाएगी। अभी तक जैव विविधता को लेकर 20 युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। गत शुक्रवार को एक माह का प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न हुआ। पांगी व लाहुल स्पीति क्षेत्र के लिए शिमला से एक, लाहुल से दो और पांगी से छह युवाओं को प्रशिक्षण दिया गया।
हिमाचल के लिए केंद्र सरकार ने पैराटेक्सोनोमी कोर्स मंजूर किया है। युवाओं को जैव विविधता का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इससे जड़ी-बूटियों के साथ जंगली जानवरों, पक्षियों व अन्य जीवों का संरक्षण स्थानीय लोगों के साथ किया जा सकेगा। इस कोर्स के बाद युवा जैव विविधता बोर्ड व वन विभाग सहित निजी संस्थाओं में सेवाएं प्रदान कर सकेंगे।
-डॉ. अपर्णा शर्मा, समन्वय, पर्यावरण अध्ययन (ईएनवीएस हब)