युवाओं को भी दिल का रोग
राज्य ब्यूरो, शिमला पहाड़ के लोग पैदल चलकर पसीना बहाते हैं इसलिए मैदानों में रहने वालों की
राज्य ब्यूरो, शिमला
पहाड़ के लोग पैदल चलकर पसीना बहाते हैं इसलिए मैदानों में रहने वालों की तुलना में अधिक चुस्त-तंदरुस्त माने जाते हैं, लेकिन हकीकत अब ऐसा नहीं है। हिमाचल में भी युवाओं को दिल का रोग घेर रहा है। इसका पता इसी से चलता है कि अस्पताल में 30 साल की उम्र वाले युवक दिल में दर्द की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं।
युवा पीढ़ी को हृदय रोग ने घेर लिया है। आरटरीज में ब्लाकेज होने का पता कई बार डॉक्टर को दिखाने के बाद ही चलता है। इंदिरा गाधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आइजीएमसी) में हर माह ऐसे दो मामले आने लगे हैं, जिमें आयु चालीस से कम होती है। अकेले आइजीएमसी की ओपीडी का रिकॉर्ड देखा जाए तो सप्ताह के पाच दिन में 500 लोग जाच करवाने के लिए पहुंचते हैं। अस्पताल में ऐसा कोई दिन नहीं निकलता, जब एक या दो मरीजों की ओपन हॉर्ट सर्जरी न हो।
प्रतिस्पर्धा ने बढ़ाया दबाव
प्रदेश का शहरीकरण हो रहा है। गाव अब कस्बों का स्वरूप लेते जा रहे हैं। कस्बे शहर होते जा रहे हैं। इस समय प्रदेश में 54 छोटे-बड़े शहर और कस्बे हैं। इनमें शिमला व धर्मशाला दो नगर निगम शामिल हैं। देखने में आया है कि शहरों में नौकरी प्राप्त करने का दबाव रहता है। प्रत्येक युवा पसंद की नौकरी चाहता है। इसके बाद परिवार के हालात भी इस रोग के लिए जिम्मेदार रहते हैं। हर व्यक्ति अच्छी वित्तीय स्थिति चाहता है। लोगों की इच्छाएं लगातार दूसरों की देखादेखी बढ़ती चली जा रही हैं। एक-दूसरे से आगे निकलने की प्रतिस्पर्धा ने भी युवाओं पर दबाव बढ़ाया है। ऐसे में प्रदेश के सभी शहर दिल के रोग की दृष्टि से संवेदनशील हैं।
युवाओं को हृदयघात होने पर जान जाने का खतरा अधिक
हृदय रोग विशेषज्ञ की मानें तो युवा अवस्था में हृदयघात होने पर जान जाने का खतरा अधिक रहता है। पचास की उम्र पार कर चुके व्यक्ति को हृदयघात होने पर बचने के चांस अधिक रहते हैं। विशेषज्ञ के अनुसार किसी बुजुर्ग का दिल काफी विकसित हो चुका होता है।
हृदय रोग के कारण
- धूमपान सबसे प्रमुख वजह है।
- मधुमेह के कारण भी हृदयाघात हो रहा है।
- फास्ट फूड का शौक भी पड़ रहा काफी महंगा।
- अनुवांशिक कारण।
- बच्चों का कंप्यूटर व वीडियो गेम्स खेलते रहना।
- एक दूसरे से संवादहीनता से चिंता भी कारण।
जी हां, यह सही है कि युवाओं में हृदयघात होने पर जान जाने का खतरा अधिक रहता है। दिल का रोग युवाओं को भी अपना शिकार बना रहा है। यदि दबाव सहित दूसरे वैज्ञानिक कारणों को अलग छोड़ दिया जाए तो लोग तनाव से मुक्त नहीं हो पाते हैं। इसके कारण हृदयघात की चपेट में आ जाते हैं।
प्रो. रजनीश पठानिया, हृदय रोग विभाग के अध्यक्ष।