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पैसे खर्च नहीं कर सकते तो वापस करो

विश्व बैंक ने 1134 करोड़ के बागवानी प्रोजेक्ट को लेकर हिमाचल सरकार को साफ तौर पर कहा है कि पैसे खर्च नहीं कर सकते और प्रोजेक्ट नहीं चला सकते तो सरंडर कर दो। साढ़े तीन वर्ष के कार्यकाल में 1134 करोड़ रुपये में से मात्र 100 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। शुक्रवार को विश्व बैंक की पांच

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Jan 2020 06:35 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jan 2020 06:20 AM (IST)
पैसे खर्च नहीं कर सकते तो वापस करो

यादवेन्द्र शर्मा, शिमला

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इसे सरकारी सुस्ती कहें या फिर अफसरों की लापरवाही..विकास कार्यो के लिए साढ़े तीन साल पहले विश्व बैंक से मंजूर 1134 करोड़ रुपये में से सिर्फ सौ करोड़ ही खर्च हो पाए हैं। बागवानी प्रोजेक्ट पर खर्च होने वाली इस राशि पर विश्व बैंक अब सख्त हो गया है। विश्व बैंक ने साफ तौर पर कहा है कि अगर इसे खर्च नहीं कर सकते तो वापस कर दो।

शिमला में शुक्रवार को विश्व बैंक की पांच सदस्यीय टीम ने एम पैथी की अध्यक्षता में प्रदेश के मुख्य सचिव व सचिव बागवानी के साथ प्रोजेक्ट की समीक्षा की। प्रदेश सरकार ने री-स्ट्रक्चर के लागू होने के बाद छह माह का समय मांगा है। अब जून में होने वाले रिव्यू में सारी स्थिति साफ हो जाएगी कि पैसा खर्च होगा या नहीं।

विश्व बैंक की टीम ने पिछले साल नवंबर में प्रोजेक्ट को रिव्यू किया था और पैसे न खर्च पाने के कारण इसे री-स्ट्रक्चर कर लागू कर दिया। बागवानी प्रोजेक्ट में हिमाचल सरकार को झटका देते हुए उप उष्णकटिबंध यानी सबट्रोपिकल के 4500 हेक्टेयर क्षेत्र को बाहर कर दिया था। इसके बाहर होने के बाद अब आठ हजार हेक्टेयर क्षेत्र में ही प्रोजेक्ट की राशि को खर्च किया जाएगा। पूर्व कांग्रेस सरकार के समय 2016 में मंजूर किए इस प्रोजेक्ट को 2023 तक पूरा करना है। इस परियोजना में चार कंपोनेंट पर व्यय हो रहे हैं, जिनके लिए चार एजेंसी व विभाग कार्य कर रहे हैं। इनमें बागवानी विभाग, एचपीएमसी, उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी सोलन और मार्केटिंग बोर्ड शामिल हैं।

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री-स्ट्रक्चर में क्या बदलाव हुए -अन्य एजेंसियों से विकसित की जा रही सात कृषि विपणन मंडियों पर विश्व बैंक के प्रोजेक्ट का पैसा खर्च नहीं होगा।

-केवल सात कृषि विपणन मंडियों पर ही राशि खर्च होगी ।

-सबट्रोपिकल पर राशि नहीं होगी व्यय।

-क्लस्टर का आकार 12.5 हेक्टेयर से घटाकर पांच हेक्टेयर किया।

-सेब, चेरी, नाशपाती, आड़ू, खुमानी, प्लम को विकसित करने के लिए राशि खर्च होगी।

-तीन साल के दौरान जिन कार्यो के लिए भूमि नहीं मिली, उनपर राशि खर्च नहीं होगी।

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1134 करोड़ के बागवानी प्रोजेक्ट को लेकर विश्व बैंक की टीम ने समीक्षा की है और केवल सौ करोड़ ही खर्च होने पर चिता जताते हुए प्रोजेक्ट को सरेंडर करने के लिए कहा है। जून तक प्रोजेक्ट का फिर रिव्यू किया जाएगा।

-अनिल खाची, मुख्य सचिव, हिमाचल


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