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सेब की फ्लॉवरिंग व परागण पर असर

जिला शिमला में दो दिनों से लगातार हो रही बारिश ने जमकर कहर मचाया है।

By Edited By: Published: Wed, 17 Apr 2019 08:30 PM (IST)Updated: Thu, 18 Apr 2019 03:01 AM (IST)
सेब की फ्लॉवरिंग व परागण पर असर
सेब की फ्लॉवरिंग व परागण पर असर
जागरण संवाददाता, शिमला : जिले में दो दिन से हो रही बारिश ने जहां बागवानी अको नुकसान पहुंचाया है। वहीं अप्रैल में दिसंबर जैसी सर्दी महसूस की जा रही है। ठंड बढ़ने से सेब की फ्लॉवरिंग व विपरित असर पड़ा है। जिले में बुधवार सुबह भारी बारिश हुई। सुबह आठ बजे से तेज हवा के साथ बारिश का क्रम जारी रहा। तूफान से बोर्ड व होर्डिग्स उखड़ कर सड़क पर गिर गए। ऊपरी क्षेत्रों में एक दो स्थानों पर हल्की ओलावृष्टि भी दर्ज की गई है। बारिश और ओलावृष्टि के कारण तापमान में एकदम से 14 डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज की गई है। पिछले दिनों तापमान 24 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था, वहीं बारिश के बाद बुधवार को शिमला का अधिकतम तापमान 10.2 डिग्री तक पहुंच गया। हालांकि दोपहर बाद बारिश का क्रम थम गया, लेकिन आसमान बादलों से घिरा रहा और सूर्य देव के दर्शन नहीं हो पाए। लोग गर्म कपड़े पहन कर ठंड से बचने की कोशिश करते रहे। शिमला में सुबह के समय हुई तेज बारिश के दौरान स्कूली बच्चों को मुश्किल झेलनी पड़ी। बच्चे भीगते हुए स्कूल पहुंचे और स्कूल में दिन भर ठंड से ठिठुरते रहे। बारिश के कारण राजधानी के स्कूलों में उपस्थिति भी कम रही। कुछ बच्चे घर से ही स्कूल नहीं आए तो कुछ बारिश के कारण रास्ते से वापस लौट गए। मौसम विभाग के अनुसार वीरवार को भी कुछ स्थानों पर बारिश हो सकती है। शुक्रवार से मौसम पूरी तरह साफ हो जाएगा। --------- तापमान में अधिक गिरावट से बागवान चिंतित सुनील ग्रोवर, ठियोग उपमंडल में मंगलवार से हो रही बारिश का दौर दूसरे दिन बुधवार को लगातार जारी रहा। इससे क्षेत्र में तापमान में भारी गिरावट आई है। इससे सेब की फ्लॉव¨रग व परागण की प्रक्रिया पर असर पड़ा है। तापमान में आठ से दस डिग्री की गिरावट के कारण फूलों से लदे सेब के पौधों पर बुरा असर पड़ा है। बागवानों के चेहरों पर ¨चता साफ दिखाई देने लगी है। ऊंचाई वाले इलाकों में उम्मीद से अधिक बारिश और हवाओं के कारण सेब की से¨टग पर भी असर दिखाई दे रहा है। यदि इसी तरह का मौसम चलता रहा तो सेब की पैदावार विपरीत असर दिखाई देगा। कम ऊंचाई और निचले इलाकों में फ्लॉव¨रग और से¨टग पर इस बारिश व ठंड का अधिक प्रभाव नहीं होगा, लेकिन मध्यम व ऊंचाई वाले इलाकों में तापमान में अधिक गिरावट से फर्क पड़ सकता है, क्योंकि यहां फ्लॉव¨रग का दौर चल रहा है। सेब की से¨टग के लिए औसतन 15 से 22 डिग्री सेल्सियस का तापमान उचित माना जाता है। अधिक ठंड होने के कारण मधुमक्खियां भी बगीचों में नजर नहीं रही हैं। मतियाना क्षेत्र के युवा बागवान महेंद्र चंदेल के अनुसार क्षेत्र में औसत से अधिक बारिश हुई है, लेकिन इतनी बारिश का सेब की से¨टग पर कोई असर नहीं होगा, लेकिन रात को कम तापमान और बारिश होने पर से¨टग खराब हो सकती है। चंदेल के अनुसार आने वाले पांच से सात दिन बागवानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण व निर्णायक साबित होंगे। वहीं दूसरी ओर बारिश से ठियोग के बेमौसमी सब्जी उत्पादक किसानों के लिए अप्रैल की यह बारिश वरदान सिद्ध हो रही है। फूल गोभी, मटर, फ्रांसबीन आदि फसलों को इस बारिश से लाभ हुआ है। फूलगोभी की पौध की रोपाई के लिए भी खेतों में पर्याप्त नमी हो गई है। हालांकि अधिक ठंड से नुकसान भी हो सकता है।

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