जल साक्षरता की अलख जगाएगा हिमाचल
रमेश सिंगटा, शिमला हिमाचल ने 1992 में जिस तरह साक्षरता के लिए अभियान चलाया था, अब उसी तर्ज प
रमेश सिंगटा, शिमला
हिमाचल ने 1992 में जिस तरह साक्षरता के लिए अभियान चलाया था, अब उसी तर्ज पर जल साक्षरता की अलख जगाई जाएगी। सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से जल स्रोतों की सफाई की लोग खुद गाथाएं लिखेंगे। लोग ही इन स्रोतों की सफाई की योजनाएं तैयार करेंगे। योजनाएं बनाने में जन भागीदारी की अनूठी मिसाल कायम की जाएगी। इस पर कार्य आरंभ हो गया है। इसे वाटर सेफ्टी प्लानिंग का नाम दिया गया है। ऐसा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूडीएचओ) के निर्देशों के अनुसार किया जा रहा है। हिमाचल देश का पहला ऐसा राज्य होगा, जहां यह कार्य किया जा रहा है। इसके तहत डब्ल्यूएचओ के साथ दिल्ली में पहले चरण की ट्रेनिंग भी हो गई है। इसमें भाग लेने वाले अधिकारी अब अपने मातहत फील्ड में कार्यरत अधिकारियों को आगे ट्रेनिंग दे रहे हैं। इसके लिए 74 स्पॅाट चिह्नित किए गए हैं। इन पेयजल योजनाओं में पानी के दूषित होने का खतरा बना हुआ है। सबसे पहले इनके कैचमेंट एरिया की साफ-सफाई होगी।
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जल जनित रोगों की रोकथाम
योजना के तहत स्रोतों की सफाई करने से जल जनित रोगों की रोकथाम हो सकेगी। यह रोग हर बरसात में महामारी का रूप धारण कर लेता है। पेयजल और सेप्टिक टैंकों का घालमेल नहीं होने दिया जाएगा। इससे पीलिया, डायरिया जैसे रोग नहीं फैलेंगे। वर्ष 2015-16 में पीलिया से शिमला में 30 से अधिक लोगों की जानें गई थीं।
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स्कूलों, ग्राम सभाओं में होगी चर्चा
जल सरंक्षण के बारे में स्कूलों में सुबह प्रार्थना सभा, ग्राम सभाओं की बैठकों में जल सरंक्षण पर चर्चा होगी। स्कूली बच्चों को इसके संरक्षण का पाठ पढ़ाया जाएगा। वार्ड से लेकर जिला परिषद तक के चुने हुए सदस्यों को भी जल के बारे में जागरूक किए जाएंगे।
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वाटर सेफ्टी प्लानिंग लोगों की भागीदारी से बनेगी। ऐसा करने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य होगा। डब्ल्यूएचओ ने ट्रेनिंग करवाई है। अब अधिकारियों को जागरूक होना होगा। इसके बाद अभियान के तहत लोगों तक पहुंचेंगे।
-बीएस राणा, एसई, वाटर एंड सेनीटेशन स्पोर्ट आर्गेनाइजेशन