राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान अनुच्छेद 370 व देशद्रोही शब्द पर हंगामा, नारेबाजी
सदन में राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान अनुच्छेद 370 और देशद्रोही जैसे शब्दों को लेकर जमकर हंगामा हुआ संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज और जगत सिंह नेगी में जमकर शब्दबाण चले।
शिमला, राज्य ब्यूरो। राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान चर्चा के अंतिम दिन अनुच्छेद 370 और देशद्रोही जैसे शब्दों को लेकर जमकर हंगामा हुआ। विपक्ष के साथ माकपा विधायक राकेश सिंघा ने वैल में नारेबाजी की और विपक्ष की आवाज को दबाने के आरोप लगाए। बुधवार को भोजनावकाश के बाद राज्यपाल अभिभाषण पर चल रही चर्चा रही थी। कांग्रेस विधायक जगत सिंह नेगी ने सदन में अनुच्छेद 370 और जम्मू-कश्मीर के देश में विलय के संबंध में बोलना शुरू किया।
इस दौरान संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज और जगत सिंह नेगी में जमकर शब्दबाण चले। सुरेश भारद्वाज ने जगत स नेगी पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्ष हिंदोस्तान की भाषा नहीं बोल रहा है। इस बीच जगत सिंह नेगी उग्र हो गए और सदन के वैल में अकेले ही उतर गए और कहा देशद्रोही जैसे शब्द का इस्तेमाल ठीक नहीं है। उन्हें देख विपक्ष के सभी सदस्य वैल में आ गए, उनके साथ माकपा विधायक राकेश सिंघा ने भी कांग्रेस का साथ देते हुए सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
इस दौरान भाजपा विधायक विक्रम सिंह जरयाल के साथ भी जगत सिंह नेगी की तीखी नोकझोंक हुई। दोनों में झड़प होने की नौबत आ गई थी। विपक्ष के हमलों का जवाब देने के लिए सत्तापक्ष के सदस्यों ने भी जमकर नारेबाजी की। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि जम्मू कश्मीर के विलय को रखने की क्या आवश्यकता थी।
जगत सिंह नेगी ने कहा कि राज्यपाल के अभिभाषण में शुरुआत में ही अनुच्छेद 370 का जिक्र किया है। अध्यक्ष से उन दस्तावेजों को सदन में रखने की अनुमति मांगी जो जम्मू कश्मीर के इतिहास से संबंधित थे। नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि उनसदस्य के खिलाफ देशद्रोह शब्द का इस्तेमाल किया है शिक्षा मंत्री माफी मांगें या अध्यक्ष व्यवस्था दें। संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि यदि मेरे शब्दों में देशद्रोह या गद्दार शब्द का इस्तेमाल हुआ है तो उसे कार्यवाही से हटा दिया जाए।
मुख्यमंत्री को हस्तक्षेप कर देना पड़ा वक्तव्य
सदन के भीतर तकरार और तनावपूर्ण माहौल को देखते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मामले में हस्तक्षेप किया। उन्होंने कहा कि राज्यपाल के अभिभाषण पर बोलने की स्वतंत्रता विपक्ष टिप्पणी करने के लिए स्वतंत्र है। बात को जम्मू कश्मीर तक पहुंचा देना इतनी आवश्यक नहीं था। विषय से हटकर बात करने से माहौल खराब हो जाता है।