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क्रशर लगाने के नाम पर काट दिए 400 पेड़

अजय बन्याल, शिमला सब तहसील जुन्गा में वन विभाग की कोटी रेंज में 400 पेड़ों के कटान मामले में

By JagranEdited By: Published: Sun, 14 Jan 2018 03:00 AM (IST)Updated: Sun, 14 Jan 2018 03:00 AM (IST)
क्रशर लगाने के नाम पर काट दिए 400 पेड़
क्रशर लगाने के नाम पर काट दिए 400 पेड़

अजय बन्याल, शिमला

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सब तहसील जुन्गा में वन विभाग की कोटी रेंज में 400 पेड़ों के कटान मामले में जमकर नियमों का उल्लंघन हुआ है। सूत्रों के मुताबिक पूर्व कांग्रेस सरकार के समय प्रशासन ने नियमों के खिलाफ आरोपी को खनन करने के लिए पंजीकृत कर दिया। नियमों के मुताबिक खनन किस चीज का किया जाना है, उसे दर्शाने के बाद ही पंजीकरण किया जाता है। ऐसे में प्रशासन ने आरोपी को किसके कहने पर नियमों के खिलाफ अनुमति दी, यह सवाल उठ रहा है। वहीं, दिलचस्प बात तो यह है कि आरोपी ने वर्ष 2015 में माइनिंग लीज के लिए आवेदन किया था, जबकि आज तक खनन लीज मिली ही नहीं है। आरोपी भूप सिंह ने पुलिस में दावा किया है कि वह अपनी जमीन पर क्रशर लगाने के लिए पेड़ काट रहा था। उधर, वन विभाग को कटान का पता चला तब तक पेड़ कट चुके थे, लेकिन इस मामले में एक और पहलू है कि वन विभाग की भूमि के ततीमें भूप सिंह के नाम कटे हैं। राजस्व विभाग ने कैसे वन भूमि को मलकीयत साबित कर दिया। इसके साथ ही आरोपी एक बड़े नेता का करीबी भी बताया जा रहा है। आरोपी को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है। असल में पुलिस ने मामले की पूरी फाइल तैयार नहीं की है। कुछ दिन के भीतर आरोपी को पुलिस गिरफ्तार कर सकती है। वहीं पीसीसीएफ ने मामले की जांच शुरू कर दी है।

डीएसपी सिटी दिनेश शर्मा ने बताया कि वन विभाग की शिकायत पर आरोपी के खिलाफ फॉरेस्ट एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। अभी तक जांच में सामने आया है कि उसने क्रशर स्थापित करने के लिए पेड़ काटे थे। आरोपी के मुताबिक उसकी निजी भूमि है, मगर वन विभाग का दावा है कि पेड़ सरकारी भूमि से काटे गए हैं। ऐसे में अब जमीन की पैमाइश करवाई जाएगी। आरोपी को अभी गिरफ्तार नहीं किया गया है। मामले की फाइल पूरी होने के बाद गिरफ्तार किया जाएगा। वन विभाग के डीएफओ अमित शर्मा ने कहा कि विभाग की टीम ने स्पॉट विजिट किया है। राजस्व विभाग से जमीन की पैमाइश करवाई जाएगी। उन्होंने कहा कि जो पेड़ काटे गए हैं, उनकी कीमत करीब 20 से 30 लाख हो सकती है। असल में जब 31 दिसंबर के बाद विशेष जांच दल बनाए गए थे तब चेकिंग के दौरान भूप सिंह से स्लीपर पकड़े थे। मामले की जब पूरी छानबीन की गई तब सामने आया कि वन भूमि से पेड़ कटे हैं।

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यह है वन विभाग का आरोप

भूप सिंह ने जिस भूमि पर पेड़ काटे हैं उस भूमि को अपना बताता है। हालांकि यह भूमि वन विभाग की है। भूप सिंह 1972 से पांच हेक्टेयर जमीन पर अपना कब्जा दिखाता आ रहा है। वहीं, जिस दो हेक्टेयर जमीन से पेड़ काटे हैं, वह वन विभाग की ही निकली है। हैरानी तो इस बात की है कि खसरा नंबर 586 में जमीन उसके नाम है, लेकिन एक दो तीन ततीमें काटे गए जो वन भूमि के हैं। गौरतलब है कि वन विभाग को शलोट गाव के साथ लगते यू 260 जंगल में 400 पेड़ों के कटे ठूंठ मिले थे। इनमें देवदार, बान के अलावा चीड़ के पेड़ भी शामिल हैं। इनकी मार्केट वेल्यू करीब 20 से 30 लाख है। अवैध पेड़ कटान का मामला सामने आने के बाद वन विभाग ने पुलिस थाना ढली में भारतीय दंड संहिता की 379 के तहत एवं वन अधिनियम 32, 33, 41, 42 में एफआइआर दर्ज है। रेंज ऑफिसर अनु ठाकुर की शिकायत पर पुलिस ने जुन्गा के शलोट गाव के भूप सिंह को अभी तक नामजद किया है। वहीं, मामला दर्ज करने के बाद वन विभाग और पुलिस टीम ने भूप सिंह के घर पर दबिश दी। उसके घर से पुलिस ने 23 बोरिया कोयले की बरामद की हैं। कोयला बान के पेड़ों को जलाकर बनाया गया है। विभाग और पुलिस ने आरोपी के घर से लकड़ियों की बरामदगी भी की है। बताया जा रहा है कि करीब 150 से 200 स्लीपर घर में हो सकते हैं। कोयला बनाने का कार्य जंगल में ही चलता था।

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तारादेवी में 200 पेड़ों पर ऐसी ही चली थी कुल्हाड़ी

राजधानी से सटे तारादेवी के जंगल में भी इसी तरह से गुपचुप तरीके से सैकड़ों पेड़ों पर कुल्हाड़ी चली थी। इसका पता भी वन महकमे को पेड़ कटान हो जाने के बाद ही चला। मामले में वन महकमे के कई अधिकारियों और कर्मचारियों पर गाज भी गिरी थी।

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मामले की जांच के आदेश वन विभाग को दे दिए गए हैं। चार साल से पेड़ कट रहे थे तो पूर्व सरकार एवं प्रशासन क्या करता रहा। इससे अंदेशा लगाया जा सकता है कि इस मामले में कहीं न कहीं राजनीति हस्तक्षेप भी रहा होगा, लेकिन अब निष्पक्ष जांच होगी। जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। रविवार को मैं स्वयं मौके का निरीक्षण करूंगा।

-गोविंद ठाकुर, वन मंत्री।

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मामला दर्ज कर छानबीन चल रही है। इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। दोषी जो भी हो उसके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।

-अनिरुद्ध सिंह, विधायक कसुम्पटी।

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सवालों के घेरे में पूर्व स्टाफ

इस मामले में वर्ष 2015 के बाद फील्ड से लेकर अधिकारियों तक सभी की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है। बीट गार्ड, ब्लॉक ऑफिसर, फॉरेस्ट गार्ड यदि नियमित तौर पर अपने एरिया में गश्त करते थे तो कटान की उन्हें भनक क्यों नहीं लगी। इससे जाहिर है कि पेड़ कटान करने वाले को महकमे का कोई खौफ नहीं था। इसमें किसी प्रभावशाली व्यक्ति का संरक्षण होने से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। खुलेआम पेड़ काटे गए, उसके स्लीपर बनाकर स्टोर किए गए। बान का कोयला बना दिया गया। यह सब काम बंद कमरे में नहीं खुलेआम जंगल में होता रहा।

नई सरकार के सामने प्रदेशभर में ये पहला बड़ा मामला सामने आया है, जिसके खिलाफ वन विभाग ने कार्रवाई की है। इसमें स्थानीय व्यक्ति शिकायतकर्ता नहीं है, बल्कि शिकायतकर्ता वन विभाग का रेंज ऑफिसर है। यह मामला नई सरकार के लिए वन माफिया पर नकेल कसने में काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

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ये उठ रहे सवाल

-विभाग ने वर्ष 2015 से लेकर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की।

-अचानक गुप्त सूचना मिलने पर कैसे विभाग हरकत में आया।

-आरोपी बड़े नेता का करीबी है तभी तो नहीं बचता रहा।

-फील्ड के कर्मचारियों के सहयोग से धंधा तो नहीं चल रहा था।

-बिना खनन के माइनिंग पंजीकरण कैसे हो गया।

-किन अधिकारियों ने माइनिंग पंजीकरण में सहयोग किया।

-वन भूमि को कैसे बना दिया गया मलकीयत?

-वन भूमि के ततीमें मलकीयत के कैसे काट दिए गए।

-सरेआम जंगल में कोयला कैसे बनता रहा।


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