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किसी से सिफारिश करवाई तो होगी कार्रवाई

प्रदेश के आउटसोर्स कर्मी सेवाएं नियमित करने के लिए अब नेताओं की सिफारिश नहीं लगा पाएंगे। इस संबंध में परिवहन विभाग ने बाकायदा एडवाजरी जारी की है। इसे परिवहन आयुक्त जेएम पठानिया की ओर से जारी किया गया है। इनमें कहा गया है कि इस विभाग के आउटसोर्स कर्मी सांसद वीआइपी से बार- बार रिप्रेजेंटेशन देने के आदी हो गए हैं। अगर अब ऐसा किया तो नियमों के तहत क

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Jan 2020 04:21 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jan 2020 04:21 PM (IST)
किसी से सिफारिश करवाई तो होगी कार्रवाई
किसी से सिफारिश करवाई तो होगी कार्रवाई

राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचल के आउटसोर्स कर्मचारी सेवाएं नियमित करने के लिए अब नेताओं से सिफारिश नहीं कर पाएंगे। इस संबंध में परिवहन विभाग ने बाकायदा एडवायजरी जारी की है। परिवहन आयुक्त जेएम पठानिया की ओर से जारी इस पत्र में कहा गया है कि विभाग के आउटसोर्स कर्मचारी सांसद, वीआइपी से बार-बार रिप्रेजेंटेशन देने के आदी हो गए हैं। अगर अब किसी ने ऐसा किया तो नियमों के तहत कड़ी कारवाई होगी। एडवाजरी में साफ तौर कहा गया है कि ये कर्मचारी सरकारी नहीं कहलाएंगे। यहां एक विभाग में करीब पचास से अधिक कर्मचारी आउटसोर्स पर तैनात हैं।

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परिवहन विभाग के आयुक्त के अनुसार उन्होंने पाया है कि इस तरह के अस्थायी कर्मी ई-गवर्नेस सोसायटी में पद सृजित करने, उनकी सेवाएं सोसायटी में लेने, आउटसोर्स से विभाग में तब्दील करने के बारे में बार- बार नेताओं को रिप्रेजेंटेशन दे रहे हैं। कई कई तो कोर्ट तक की शरण में हैं। अधिकारी का मानना है कि सांसद, वीआइपी से मुलाकात करने के कारण विभाग का कार्य का बोझ पड़ता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने आउटसोर्स कर्मियों के लिए पहली जुलाई 2017 को नीति बनाई थी, उसी आधार पर इनकी सेवाएं ली जा रही हैं। बावजूद इसके विभाग में कार्यरत कर्मचारी बार- बार नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं। ऐसा करना नियमों की अवहेलना है। नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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प्रदेश में हजारों कर्मचारी आउटसोर्स पर तैनात प्रदेश में हजारों कर्मी आउटसोर्स पर सेवाएं दे रहे हैं। पूर्व कांग्रेस सरकार ने इनके लिए ठोस नियमितीकरण नीति बनाने की बात कही थी, लेकिन कोई नीति नहीं बनाई। आरोप है कि इन कर्मियों का कंपनी, ठेकेदारों के हाथों आर्थिक शोषण हो रहा है। कई बार यह मामला राज्य विधानसभा में भी उठ चुका है। मौजूदा सरकार ने भी इन्हें नियमित करने से इन्कार किया है। ऐसे में ताजा आदेश का असर अन्य विभागों पर भी पड़ेगा।


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