मंत्रियों की गाड़ियों ने पटरी से उतारी यातायात व्यवस्था
राजधानी शिमला के छोटा शिमला में मंत्रियों और अधिकारियों की गाड़ियों ने यातायात व्यवस्था को पटरी से उतार दिया।
जागरण संवाददाता, शिमला : राजधानी शिमला के छोटा शिमला में मंत्रियों और अधिकारियों की गाड़ियों ने यातायात व्यवस्था को पटरी से उतार दिया। इस कारण राजधानी के छोटा शिमला में सोमवार को जनजीवन कुछ घंटों के लिए ठहर गया। चुनाव आचार संहिता के चलते मंत्रियों ने गाड़ियां वापस कर दी। सभी गाड़ियां छोटा शिमला सचिवालय के बाहर सर्कुलर रोड पर खड़ी कर दी गई। इससे सड़क काफी संकरी हो गई और जाम लग गया। न तो सचिवालय के अधिकारियों ने गाड़ियों को पार्किंग में लगवाने की जहमत उठाई और न ही पुलिस ने, जिस कारण हिमाचल प्रदेश सचिवालय के बाहर भी यातायात की बिगड़ी व्यवस्था का सरकार ने करीब से आलम देखा। दरअसल में यह चूक पुलिस की भयंकर लापरवाही के कारण हुई है। यदि पुलिस समय रहते इन गाड़ियों को पार्किंग में खड़ी करवा देती तो यह समस्या ही पेश न आती। दिलचस्प बात यह है कि टॉलैंड से नव बहार तक वाहनों की लंबी कतारें लगी रही बावजूद इसके भी गाड़ियां यहां से नहीं हटाई गई और पुलिस की लाख कोशिशों के बाद भी बार बार जाम लगता रहा। जिस कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। सचिवालय की ओर जाने वाले लोग या फिर शिमला की ओर आने वाले लोग वहां जाम में फंस गए। यहां बड़ी संख्या में वाहनों की कतार लग गई जोकि छोटा शिमला से संजौली की ओर बढ़ गई। अहम बात यह भी रही कि लोग बसों से उतरकर पैदल अपने गंतव्य को जाने के लिए मजबूर हो गए। यहां बस स्टेंड की ओर वाहन नहीं जा सके वहीं खलीणी व कुसुम्पटी को जाने वाले वाहन भी एक जगह पर रूक गए। पुलिस कर्मियों को भी जाम खुलवाने में खासी मशक्कत करनी पड़ी।
सचिवालय के बाहर अफसरों के वाहन भी ऐसे फंसे कि कई अधिकारी कुसुम्पटी की ओर अपने घर नहीं जा सके। दोपहर के समय भोजन के लिए अधिकारी घरों को जाते हैं, जिस कारण वह नहीं जा सके। सचिवालय के बाहर लगे इस जाम की खूब चर्चा रही। शिमला शहर में इस तरह का आलम देखकर हर कोई परेशान था। आम आदमी यही चर्चा कर रहा था कि पुलिस यातायात बहाली के लिए केवल शहर में चालान ही करती है। रोजाना लोगों के चालान किए जाते हैं और रसूखदारों को छोड़ दिया जाता है।