जानिये क्यों खतरे में है हिमाचल का ये गांव, कहीं मिट न जाये नामोनिशान
भूस्खलन के कारण ग्रांगे गांव खतरे की जद में आ गया है, इससे 12 से अधिक लोगों के खेत और बगीचे तबाह हो गया है।
भावानगर, जेएनएन। किन्नौर जिले के नाथपा में शिमला-रिकांगपिओ राष्ट्रीय राजमार्ग पांच पर हो रहे भूस्खलन से ग्रांगे गांव खतरे की जद में आ गया है। भूस्खलन के कारण हाइवे पूरी तरह बंद हो गया है। सोमवार को ग्रांगे गांव के लोगों ने हाइवे पर सड़क बहाली के कार्य को रोका। ग्रामीणों को एसडीएम भावानगर घनश्याम दास ने मौके पर पहुंच कर मसले को सुलझाने का आश्वासन दिया। उसके बाद ग्रामीणों ने सड़क बहाली का कार्य शुरू करने दिया।
भूस्खलन हर दिन बढ़ रहा है। शुरूआती तौर पर दो लोगों के खेत धंस रहे थे। अब भूस्खलन ने 12 से अधिक लोगों के खेत और बगीचों को तबाह कर दिया है। भूस्खलन तेजी से गांव की ओर बढ़ रहा है। यदि समय रहते भूस्खलन को रोकने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए तो ग्रांगे गांव का नामोनिशान मिट सकता है। ग्रामीणों के साथ बीडीसी अध्यक्ष मीरा नेगी, प्रधान ग्राम पंचायत निचार बसंती देवी, उपप्रधान राजपाल नेगी विशेष तौर पर मौजूद रहे।
ग्रामीणों की ओर से उपप्रधान राजपाल नेगी ने एसडीएम के समक्ष पक्ष रखा। ग्रामीणों ने एसडीएम से कहा कि नेशनल हाइवे को चौड़ा कर रही कंपनी द्वारा हेवी ग्रेनाइट इस्तेमाल किया गया है। इससे पहले इस प्वाइंट पर कभी भूस्खलन नहीं हुआ। एनएच प्राधिकरण की गतिविधि के बाद यहां भूस्खलन शुरू हुआ।भूस्खलन हर दिन भयानक रूप धारण कर रहा है। इससे कई लोगों के खेत और बगीचे तबाह हो गए हैं।
दहशत में लोग
भूस्खलन ग्रांगे गांव की ओर बढ़ रहा है। इससे पूरा गांव खिसक सकता है। ऐसे में लोग दहशत में आ गए हैं। एसडीएम घनश्याम दास ने कहा कि भूस्खलन के कारण ग्रामीणों के खेत को हुए नुकसान की भरपाई का आंकलन करने के लिए प्रशासन की ओर से एनएच प्राधिकरण को नोटिस जारी किया है। उन्होंने कहा कि लोगों के नुकसान का आंकलन करने के लिए तहसीलदार गौतम चेथा की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई है। इसमें बीडीसी अध्यक्ष और संबंधित पंचायत प्रधान सदस्य होंगे। कमेटी सात दिन के अंदर प्रशासन को नुकसान की विस्तृत रिपोर्ट पेश करेगी।
प्रदेश वन निगम के उपाध्यक्ष सूरत नेगी ने नाथपा में एनएच पर हो रहे भूस्खलन का जायजा लिया। उन्होंने एनएच प्राधिकरण को सड़क बहाली के कार्य को गंभीरता के साथ करने को कहा है। साथ ही कहा कि हाईवे प्राधिकरण के अधिशाषी अभियंता मौके पर रहकर कार्य कर रहे लोगों को निर्देश दें। जिन लोगों का नुकसान हआ है उन्हें उचित मुआवजा दिलाया जाएगा।
मार्ग बहाल करना हाईवे प्राधिकरण के लिए बना चुनौती
वहीं, मार्ग बहाल करना हाईवे प्राधिकरण के लिए चुनौती बन गया है। मार्ग 45 घंटे बाद भी बहाल नहीं हो पाया है। पहाड़ी से पत्थर गिरना थमने के बाद सोमवार सुबह सड़क बहाली का कार्य शुरू किया, लेकिन ग्रामीणों ने कुछ समय के लिए कार्य को रोका। सड़क बंद होने के कारण हाईवे के दोनों ओर सैकड़ों वाहन कई किलोमीटर दूर तक कतार में लगे हैं। जाम से हाईवे के दोनों ओर बदहाली का आलम है। यात्रियों को
ठहरने में भी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। भावानगर में केवल बिजली बोर्ड का रेस्ट हाउस व फिल्ड हॉस्टल है, जहां पर सीमित संसाधन होने के कारण केवल कुछ यात्रियों के ही ठहरने की व्यवस्था हो सकती है। लोगों के पास कोई दूसरा वैकल्पिक मार्ग भी नहीं है। ऐसे में लोगों को मार्ग बहाल होने का इंतजार करना पड़ रहा है।