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हिमालय के लिए एकजुट हुए देश के ये चार राज्य, मिलकर करेंगे ये बड़ा काम

देश के चार राज्यों ने हिमालय के संरक्षण का संकल्‍प लिया है ये केवल जैव विविधता ही नहीं बल्कि दुर्लभ वन्य प्राणियों का भी संरक्षण करेंगे।

By Babita kashyapEdited By: Published: Fri, 20 Sep 2019 09:19 AM (IST)Updated: Fri, 20 Sep 2019 09:19 AM (IST)
हिमालय के लिए एकजुट हुए देश के ये चार राज्य, मिलकर करेंगे ये बड़ा काम
हिमालय के लिए एकजुट हुए देश के ये चार राज्य, मिलकर करेंगे ये बड़ा काम

 शिमला, रमेश सिंगटा। हिमालय से जुड़े चार राज्यों ने हिमालयी संकल्प लिया है। यह संकल्प देश के प्रहरी हिमालय को संरक्षित करने का है। हिमाचल, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर व सिक्किम इसे बचाने के लिए एकजुट हो गए हैं। ये राज्य देशभर को प्राणवायु देने वाले की पवित्रता व पहचान बरकरार रखेंगे। न केवल जैव विविधता बनाए रखेंगे बल्कि दुर्लभ वन्य प्राणियों जैसे बर्फानी तेंदुआ, हिमालयन थार, भेड़िया आदि का भी संरक्षण करेंगे।

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चारों राज्य विलुप्त होने के कगार पर पहुंची बेशकीमती औषधियों की 1743 प्रजातियों को बचाएंगे। पेड़ों की 816 प्रजातियां हिमालयी रेंज में पाई जाती हैं। भारत समेत दुनियाभर के 13 देशों में बर्फानी तेंदुआ पाया जाता है। इनकी संख्या 3900 से 6400 तक आंकी गई है। हिमाचल में यह संख्या 85 ये 100 तक है। चारों राज्यों में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के सहयोग से अलग-अलग प्रोजेक्ट शुरू किए गए हैं।

इसे विश्व बैंक फंड मुहैया करवा रहा है। प्रदेश में 130 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट शुरू हो गया है। प्रोजेक्ट मार्च 2024 तक चलेगा। इसका कार्यक्षेत्र लाहुल स्पीति, पांगी और किन्नौर के ऊंचाई वाले 74 हजार वर्ग किलोमीटर तक फैला है। इसके हितधारकों, इसका संचालन करने वाले वन विभाग के वन्य प्राणी विंग व सहयोगी विभागों ने मिलकर इसे सफल बनाने का बीड़ा उठाया है। इस सिलसिले में सुरक्षित हिमालय प्रोजेक्ट पर शिमला में प्रारंभिक कार्यशाला में प्रतिभागियों ने इसके विविध पहलुओं पर मंथन किया। इसे बेहतर तरीके से क्रियान्वित करने के लिए प्रभावी कार्ययोजना तैयार की गई।

प्राकृतिक चरागाहों को नुकसान

लाहुल, किन्नौर और चंबा जिला के पांगी में पशुधन करीब आठ लाख है। वैज्ञानिकों व विशेषज्ञों के अनुसार इससे चरागाहों पर दबाव बढ़ गया है। प्राकृतिक चरागाहों को नुकसान पहुंच रहा है। लोग अपनी आजीविका के लिए प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर रहते हैं। इससे इन संसाधनों का अवैज्ञानिक दोहन हो रहा है। विकास गतिविधियों, जलवायु बदलाव व ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियर पिघल रहे हैं। औषधीय पौधों का भी गलत दोहन हो रहा है। इंसान और वन्य प्राणियों में टकराव बढ़ गया है। इससे पारिस्थिति प्रभावित हो रही है।

हिमालय को बचाने के लिए प्रोजेक्ट शुरू किया है। इसे लोगों की सहभागिता से आगे बढ़ाया जाएगा। इससे क्षेत्र की पारिस्थितिकी बेहतर होगी। स्थानीय समुदायों को रोजगार मिलेगा। प्रोजेक्ट लागू करने में चुनौतियां कम नहीं रहेंगी क्योंकि यह क्षेत्र छह महीने बर्फ से ढका रहता है। डॉ. सरिता, स्टेट प्रोजेक्ट डायरेक्टर, हिमालय सिक्योर प्रोजेक्ट पहले हमारा ध्यान मध्यम या निचले हिमालय पर था। अब हाई  हिमालय पर फोकस होगा। विकास व पर्यावरण में संतुलन कायम किया जाएगा। इसके लिए जन सहयोग जरूरी है। 

 रामसुभर्ग सिंह, अतिरिक्त मुख्य सचिव, वन

 हिमाचल जैव विविधता को बचाने के लिए बेहतर कार्य कर रहा है। अब नए प्रोजेक्ट के माध्यम से लोगों को और जानकारी मिलेगी। इससे प्रोजेक्ट लागू करने में भी मदद होगी।

डॉ. रुचिका पंत, प्रतिनिधि, यूएनडीप 

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