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अनुराग से सीयू की तकनीकी खामियां दूर करने का अनुरोध

राज्य ब्यूरो शिमला केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयू) हिमाचल प्रदेश के नाम जमीन को परिवर्तित करने

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 Nov 2020 06:56 PM (IST)Updated: Fri, 20 Nov 2020 06:56 PM (IST)
अनुराग से सीयू की तकनीकी खामियां दूर करने का अनुरोध
अनुराग से सीयू की तकनीकी खामियां दूर करने का अनुरोध

राज्य ब्यूरो, शिमला : केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयू) हिमाचल प्रदेश के नाम जमीन को परिवर्तित करने के लिए हिमाचल सरकार तीव्रता से कार्रवाई कर रही है। वन भूमि को परिवर्तित करने में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के आदेश व तकनीकी खामियां आड़े आ रही हैं। प्रदेश सरकार ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से इनको दूर करवाने के लिए केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर से अनुरोध किया है। यह जानकारी राजस्व मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने शुक्रवार को शिमला में दी।

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उन्होंने बताया कि केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने 30 जुलाई, 2019 को पत्र के माध्यम से स्पष्ट किया था कि वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत जो वन भूमि परिवर्तित की जाती है, उसकी विधिक स्थिति वन भूमि ही रहेगी। ऐसी परिवर्तित भूमि इंतकाल के माध्यम से उपयोगकर्ता एजेंसी या उपयोगकर्ता विभाग के नाम कागजात माल में राजस्व विभाग द्वारा स्थानांतरित नहीं की जा सकती। इसके कारण प्रदेश में तीस के करीब प्रोजेक्ट लटके हुए हैं। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से इस संबंध में राहत मिलने के बाद ही जमीन संबंधित परियोजनाओं और एजेंसी के नाम परिवर्तित हो सकती है।

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यह है मामला

महेंद्र सिंह ने बताया कि केंद्र ने हिमाचल में सीयू दो परिसर स्थापित करने के लिए स्वीकृति दी है, जिनमें तहसील धर्मशाला में उत्तरी परिसर जदरांगल और देहरा में दक्षिणी परिसर शामिल हैं। दक्षिणी परिसर के निर्माण के लिए प्रदेश सरकार ने 34.55 हेक्टेयर सरकारी भूमि 2010 में ही सीयू के नाम स्थानांतरित कर दी थी, जिसका इंतकाल भी 2010 में हो गया था। इसके अलावा 81.79 हेक्टेयर वन भूमि को उपयोगकर्ता एजेंसी (यूजर एजेंसी), निदेशक उच्चतर शिक्षा, हिमाचल प्रदेश के नाम वन संरक्षण अधिनियम के तहत परिवर्तित करने की मंजूरी 11 दिसंबर, 2018 को प्राप्त हुई थी। लेकिन इसमें शर्त लगाई कि जिस भूमि को परिवर्तित करने की मंजूरी प्रदान की गई है वह किसी भी स्थिति में बिना केंद्र सरकार के अनुमोदन से अन्य एजेंसी, विभाग या किसी अन्य व्यक्ति के नाम स्थानांतरित नहीं की जा सकती। प्रदेश सरकार ने इस बारे उत्पन्न स्थिति पर पुन: विचार करने के लिए यह मामला वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार से उठाया हुआ है। करोड़ों रुपये कैंपा हैड में जमा करवाए

प्रदेश सरकार ने ग्रीन कवर प्लान के तहत पांच करोड़ 60 लाख रुपये भी नवंबर, 2018 में क्षतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन एवं नियोजन प्राधिकरण (कैंपा) में जमा करवा दिए थे। यह राशि पहले जमा की गई 17 करोड़ 27 लाख से अतिरिक्त राशि थी।


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