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कोर्ट ने दिया युग का कंकाल पिता को सौंपने का आदेश, दूसरी खंडपीठ के समक्ष होगी सुनवाई

मासूम युग की अपहरण के बाद निर्मम हत्या मामले में तीनों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है इस अपराध को दुर्लभ में दुर्लभतम श्रेणी के दायरे में रखा गया था।

By Babita kashyapEdited By: Published: Sat, 28 Sep 2019 09:37 AM (IST)Updated: Sat, 28 Sep 2019 09:37 AM (IST)
कोर्ट ने दिया युग का कंकाल पिता को सौंपने का आदेश,  दूसरी खंडपीठ के समक्ष होगी सुनवाई
कोर्ट ने दिया युग का कंकाल पिता को सौंपने का आदेश, दूसरी खंडपीठ के समक्ष होगी सुनवाई

शिमला, जेएनएन। हिमाचल हाईकोर्ट ने युग के कंकाल को उसके पिता को सौंपने का आदेश दिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश धर्मचंद चौधरी व न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ में यह आदेश पारित किए। इस मामले में दोषियों को सुनाई सजा-ए-मौत के पुष्टिकरण वाले मामले पर सुनवाई नए रोस्टर के मुताबिक दूसरी खंडपीठ के समक्ष होगी।

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मामला सत्र न्यायाधीश की ओर से रेफरेंस के तौर पर हाईकोर्ट के समक्ष रखा गया है। इसमें तीनों दोषियों ने भी अपील के माध्यम से सत्र न्यायाधीश के फैसले को चुनौती दी है। तीनों को फिरौती के लिए चार साल के मासूम युग की अपहरण के बाद निर्मम हत्या करने पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश शिमला की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है। छह सितंबर को दोषी चंद्र शर्मा, तेजिंद्र पाल और विक्रांत बख्शी को सजा सुनाते हुए न्यायाधीश वीरेंद्र्र सिंह की अदालत ने इस अपराध को दुर्लभ में दुर्लभतम श्रेणी के दायरे में पाया था।मामले के मुताबिक तीनों दोषियों ने जून 2014 को शिमला के रामबाजार से फिरौती के लिए युग का अपहरण किया था।

हाईकोर्ट ने रद किया तबादला आदेश

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कांगड़ा के कुटियारा स्कूल की शिक्षिका का चम्बा के लिए तबादला आदेश को निरस्त कर दिया है। जस्टिस डीसी चौधरी और ज्योत्सना रेवाल दुआ की डबल बैंच ने अहम व्यवस्था दी है। इसके मुताबिक प्रशासनिक अथॉरिटी जन प्रतिनिधि की सिफारिश जैसे डीओ आदि पर तबादले के आग्रह पर प्रभावित होकर ऐसा आदेश न दें। पीजीटी कांता का तबादला चम्बा जिला के बनेटा किया गया। छह सितंबर को आदेश हुए और अगले दिन उसे रिलीव किया, जिसे कोर्ट ने इसे सही नहीं पाया। अब प्राधिकृत अथॉरिटी पर छोड़ दिया है कि वह नए सिरे से तबादले के मामले को कानूनन स्वीकार कर अमिल मन्हास की अग्रिम जमानत याचिका खारिज प्रदेश हाईकोर्ट ने अमिल मन्हास की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी।

न्यायाधीश संदीप शर्मा ने धोखाधड़ी के आरोपित अमिल मन्हास की जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट में उपस्थित न होने पर अग्रिम जमानत याचिका खारिज की है। प्रार्थी को कोर्ट से 23 सितंबर को अंतरिम अग्रिम जमानत मिली थी। अमिल मन्हास पर राज्य सतर्कता व भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो थाना ऊना में भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 465, 467, 471 और 34 व इन्फॉर्मेशन एंड टेक्नोलॉजी अधिनियम की धारा 61 के तहत 5 सितंबर को प्राथमिकी दर्ज की थी। 

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इस मामले में हरप्रिया मन्हास पर भी इन्हीं आरोपों के तहत मामला दर्ज किया गया है। हरप्रिया मन्हास को हाईकोर्ट से अंतरिम अग्रिम जमानत मिली है और उसकी जमानत याचिका पर सुनवाई चार अक्टूबर को निर्धारित की गई है। 

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